क्या ये 4 आसान योगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- भुजंगासन: रीढ़ की लचीलापन बढ़ाता है।
- मार्जरी आसन: तनाव और चिड़चिड़ापन कम करता है।
- सेतु बंधासन: कमर के निचले हिस्से को मजबूत करता है।
- पश्चिमोत्तानासन: पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- नियमित अभ्यास: स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑफिस में लंबे समय तक एक ही पॉस्चर में बैठने की आदत से कमर दर्द और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं बहुत आम हो गई हैं। इसका समाधान केवल दवाओं के जरिए नहीं, बल्कि योगासन के माध्यम से भी किया जा सकता है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कुछ बेहतरीन आसनों की सलाह दी है, जिन्हें रोजाना केवल 10-15 मिनट के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी को मजबूत, लचीला और स्वस्थ बनाया जा सकता है। इनमें शामिल हैं भुजंगासन, मार्जरी आसन, सेतु बंधासन और पश्चिमोत्तानासन.
मंत्रालय इन चारों आसनों के लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। भुजंगासन में पेट के बल लेटकर दोनों हाथ कंधों के पास रखें और सांस लेते हुए छाती को ऊपर उठाएं। सिर को पीछे की ओर झुकाने से रीढ़ में खिंचाव आता है, जिससे यह लचीली बनती है। यह कमर दर्द, स्लिप डिस्क और कंधों की जकड़न में राहत प्रदान करता है। साथ ही यह पेट की चर्बी कम करने में भी सहायक है और फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
मार्जरी आसन: चौपाए की स्थिति में आएं। सांस छोड़ते हुए पीठ को ऊपर की ओर गोल करें (बिल्ली की तरह) और सांस लेते हुए पीठ को नीचे झुकाएं। यह आसन रीढ़ की हर कड़ी को मूवमेंट देता है, जिससे जकड़न दूर होती है और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है। तनाव और चिड़चिड़ापन को कम करने में यह सहायक साबित होता है।
सेतु बंधासन में पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ें, पैर जमीन पर रखें और सांस लेते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं। इससे कमर के निचले हिस्से को मजबूती मिलती है। यह आसन ग्लूट्स, जांघों और पेट की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। थायरॉइड, अस्थमा और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है।
पश्चिमोत्तानासन में पैर सीधे करके बैठें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर पैर की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करें। यह रीढ़ की पूरी लंबाई को स्ट्रेच करता है और उसे लचीला बनाता है। पाचन तंत्र को मजबूत करने, पेट की चर्बी घटाने और दिमाग को शांति प्रदान करने में यह सहायक है।
गर्भवती महिलाओं और रीढ़ की गंभीर समस्या वाले व्यक्तियों को योग प्रशिक्षक की सलाह के अनुसार ही अभ्यास करना चाहिए।