क्या रेजिडेंट डॉक्टरों ने सीएम रेखा गुप्ता से मिलकर अपनी समस्याएं बताईं?

सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने छात्रों की समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया।
- कॉलेज में महिला सुरक्षा की गंभीर समस्याएं हैं।
- हॉस्टल में overcrowding की समस्या है।
- कॉलेज परिसर की सीमा तय करने की आवश्यकता है।
- अतिक्रमण को हटाने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों ने सोमवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात कर अपनी समस्याओं को उनके समक्ष रखा। छात्रों ने कॉलेज परिसर और हॉस्टल से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।
छात्रों ने बताया कि कॉलेज परिसर में कई छात्राएं असुरक्षित महसूस कर रही हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात के बारे में कई छात्रों ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत की।
रेजिडेंट डॉक्टर और एमबीबीएस के छात्र आयुष अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमें हॉस्टल में रहने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिस कमरे में केवल एक या दो छात्र रह सकते हैं, वहाँ सात से आठ छात्र रह रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कमरे में केवल बेड रखने की जगह है, दूसरे सामान जैसे चेयर या टेबल नहीं रख पा रहे हैं। इससे पढ़ाई में कठिनाई उत्पन्न हो रही है। जब सभी छात्र सो रहे होते हैं, तब भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, वॉशरूम की भी समस्याएं हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि कैंपस में अतिक्रमण की समस्याएं भी हैं। कैंपस की अपनी एक निश्चित सीमा नहीं है। कई लोग अतिक्रमण करके अपनी दुकानें खोल चुके हैं। इससे कई असामाजिक तत्व कॉलेज में घुस आते हैं और अपने नापाक इरादों को अंजाम देते हैं। ऐसे में कॉलेज प्रशासन को चाहिए कि एक बाउंड्री बनाई जाए, ताकि कोई असामाजिक तत्व कैंपस में प्रवेश न कर सके।
कई बार फीमेल बैचमेट्स भी असुरक्षित महसूस करती हैं। उनके साथ कई बार छेड़खानी की घटनाएँ होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कॉलेज की अपनी एक निश्चित सीमा नहीं है। यदि कॉलेज कैंपस की सीमा निर्धारित होगी, तो ऐसी समस्याएँ नहीं होंगी।
मुख्यमंत्री ने छात्रों को आश्वस्त किया है कि उनकी सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। सबसे पहले कॉलेज कैंपस की सीमा निर्धारित की जाएगी और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि हॉस्टल आवंटित किया जाएगा और इसके लिए बजट भी आवंटित किया जाएगा।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की छात्रा और एलएनजेपी अस्पताल में इंटर्न कर रहीं रेजिडेंट डॉक्टर केपी प्रजापति ने बताया कि हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन, आज की मुलाकात में मुख्यतः तीन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है: महिला डॉक्टरों की सुरक्षा, हॉस्टल की खराब स्थिति और आवासीय सुविधाओं की कमी।
उन्होंने कहा कि जिन कमरों में केवल तीन बच्चे रह सकते हैं, उनमें सात से आठ बच्चे रह रहे हैं। इन कमरों में बच्चे मजबूरी में रह रहे हैं। इन कमरों में केवल बेड हैं, बेड के अलावा अन्य सामान जैसे टेबल और कुर्सी नहीं रख पाते हैं। इससे छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
वे बताती हैं कि जब मैं रात को अपनी ड्यूटी पूरी करके जा रही होती हूं, तो मुझे हमेशा इस बात का डर लगा रहता है कि क्या मेरी सुरक्षा होगी। हम डॉक्टरों को 'लोगों की जान बचाने वाला' कहा जाता है। लेकिन आज की स्थिति ऐसी हो गई है कि हमारी जान को भी खतरा है। मैंने कोई ईयर रिंग भी नहीं पहनी है, क्योंकि मुझे डर है कि कोई इसे छीन न ले। एक फीमेल डॉक्टर होने के नाते मुझे अक्सर इस बात का डर रहता है कि कोई मुझे परेशान न करे। हमारे साथ ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं, जिसमें हमें और हमारे दोस्तों को छेड़ा गया है। अगर कॉलेज कैंपस की एक निर्धारित सीमा होगी, तो निश्चित रूप से हमें ऐसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
रेजिडेंट डॉक्टर निकिता ने कहा कि यह समस्या आज की नहीं है, बल्कि पिछले 50 वर्षों से चली आ रही है। जब से कॉलेज का निर्माण हुआ है, तब से हमें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हमने इस बारे में मुख्यमंत्री से बात की है और उन्होंने हमें आश्वस्त किया कि हमारी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। हमें लगता है कि हमारी मीटिंग अच्छी रही।
रेजिडेंट डॉक्टर ध्रुव यादव ने कहा कि हमारे कॉलेज में कई समस्याएँ हैं और सबसे बड़ी समस्या महिला सुरक्षा है। कोई बाहरी तत्व कॉलेज में दाखिल हो जाता है और फीमेल स्टूडेंट्स के साथ बदतमीज़ी कर जाता है। हमने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के सामने रखा है। इसके अलावा, हमने मुख्यमंत्री से यह भी मांग की है कि कॉलेज की बाउंड्री की सीमा निर्धारित हो, ताकि कोई बाहरी तत्व दाखिल न हो सके।