क्या आरएसएस-भाजपा को संविधान की आवश्यकता नहीं, बल्कि मनुस्मृति चाहिए?

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क्या आरएसएस-भाजपा को संविधान की आवश्यकता नहीं, बल्कि मनुस्मृति चाहिए?

सारांश

क्या आरएसएस-भाजपा को संविधान की आवश्यकता नहीं, बल्कि मनुस्मृति चाहिए? राहुल गांधी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। जानिए इस विवाद के पीछे की सच्चाई और संविधान की रक्षा का संकल्प।

Key Takeaways

  • संविधान में समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय का महत्व है।
  • आरएसएस-भाजपा ने संविधान पर सवाल उठाए हैं।
  • राहुल गांधी ने बहुजन अधिकारों की रक्षा का संकल्प लिया है।
  • भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जो सभी को समान अधिकार देता है।
  • आर्थिक असमानता को दूर करने का संकल्प जारी है।

नई दिल्ली, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि संविधान इन लोगों को चुभता है क्योंकि यह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। आरएसएस-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए।

राहुल गांधी ने आगे कहा कि ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं। आरएसएस को ये सपना देखना बंद करना चाहिए, हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे। हर देशभक्त भारतीय अंतिम दम तक संविधान की रक्षा करेगा।

वास्तव में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर एक कार्यक्रम में संविधान की प्रस्तावना में शामिल 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों पर पुनर्विचार करने की मांग की थी। उनके इस बयान के बाद सियासत में उथल-पुथल मच गई। इसी क्रम में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, ''आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि यह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। आरएसएस-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए।''

उन्होंने आगे लिखा, ''ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है। आरएसएस ये सपना देखना बंद करे, हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे। हर देशभक्त भारतीय अंतिम दम तक संविधान की रक्षा करेगा।''

इससे पहले, कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने न्यूज़ एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए दत्तात्रेय होसबाले के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि भारत एक सेक्युलर देश था और हमेशा रहेगा। भारत का संविधान सभी को बराबरी का अधिकार देता है।

उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार है और अपनी इच्छा से धर्म और आस्था को मानने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि इतिहास में भी हम सेक्युलर थे और आज भी रहेंगे। जहां तक बात सोशलिस्ट की है, तो देश में जो आर्थिक असमानता है, उसे दूर करने का संकल्प हम लोग हमेशा से लेते आए हैं। आजादी के बाद हम लोगों ने संकल्प लिया था कि हम अमीर और गरीब के बीच जो खाई है, उसे पाटने का काम करेंगे। सोशलिस्ट उसी को दर्शाता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि संविधान और उसके मूल सिद्धांत भारतीय लोकतंत्र की नींव हैं। राजनीतिक दलों के बीच यह बहस यह दर्शाती है कि संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष जारी है। हमें हमेशा संविधान के मूल्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

आरएसएस और भाजपा का संविधान के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
आरएसएस और भाजपा का कहना है कि संविधान में कुछ शब्दों पर पुनर्विचार होना चाहिए, जबकि विपक्ष इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ मानता है।
राहुल गांधी का क्या कहना है?
राहुल गांधी का कहना है कि आरएसएस-भाजपा संविधान को नहीं, बल्कि मनुस्मृति को प्राथमिकता देते हैं।
क्या भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है?
हाँ, भारत संविधान के अनुसार एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जो सभी धर्मों का सम्मान करता है।
आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए क्या किया जा रहा है?
कांग्रेस ने हमेशा आर्थिक असमानता को दूर करने का संकल्प लिया है और इसके लिए कई योजनाएं बनाई हैं।
संविधान की रक्षा कैसे की जा सकती है?
संविधान की रक्षा के लिए हर भारतीय को जागरूक रहना और इसके मूल सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।