क्या आरएसएस के शताब्दी समारोह में इंद्रेश कुमार ने शस्त्र पूजा की?

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क्या आरएसएस के शताब्दी समारोह में इंद्रेश कुमार ने शस्त्र पूजा की?

सारांश

आरएसएस के शताब्दी समारोह में इंद्रेश कुमार ने शस्त्र पूजा का आयोजन किया। भाजपा नेता बैजयंत पांडा ने संघ के योगदान को अद्वितीय बताया। आइये जानते हैं इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के बारे में क्या कुछ कहा गया।

Key Takeaways

  • आरएसएस के 100 वर्ष पूरे हुए।
  • शस्त्र पूजा का आयोजन किया गया।
  • एकता पर जोर दिया गया।
  • संघ का योगदान उल्लेखनीय है।
  • भक्तियों का बलिदान महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100वें वर्ष के उपलक्ष्य में पश्चिम विहार में एक विशेष शस्त्र पूजा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार और अन्य स्वयंसेवकों ने शस्त्र पूजा का विधिपूर्वक अनुष्ठान किया।

कार्यक्रम के उपरांत मीडिया से चर्चा करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा, "ठीक 100 वर्ष पूर्व, विजयादशमी के पावन अवसर पर, केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। आज हम इसके शताब्दी वर्ष का उत्सव मना रहे हैं। हम शक्ति के उपासक हैं। भक्ति में शक्ति है, शस्त्र, नैतिकता, शिक्षा और समाज की एकता में शक्ति है, इसी प्रकार जितने भी शक्ति के स्वरूप हैं, उन सभी के रूप में हम पूजन करते हैं। हम यह प्रार्थना करते हैं कि व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र तक सभी सशक्त हों।"

उन्होंने आगे कहा कि हमें सभी भेदों से मुक्त होकर एकता के साथ जीना चाहिए, ताकि 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' और 'एक जन-नेक जन' की प्रतिष्ठा बनी रहे। संघ की शाखा व्यक्ति को संस्कारों के माध्यम से सुधारती है। यह आचरण को उन गुणों से परिपूर्ण करती है, जिससे परिवार और समाज सशक्त बनें।

इसी बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता बैजयंत पांडा ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "आज एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। पिछले 100 वर्षों में संघ ने दुनिया की सबसे बड़ी स्वयंसेवक संस्था के रूप में खुद को स्थापित किया है।"

उन्होंने कहा कि संघ का मिशन व्यक्ति निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण तक अद्वितीय है। जहां भी कोई समस्या आई हो, चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या देश में कोई बड़ा संकट, वहां लाखों स्वयंसेवक अपने त्याग और समर्पण के साथ राष्ट्र के लिए खड़े हुए हैं।

बैजयंत पांडा ने यह भी कहा कि भारत के पुनर्निर्माण और राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में संघ का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है। इसकी सेवा यात्रा निरंतर आगे बढ़ रही है और देशहित में यह कार्य प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हमेशा राष्ट्रहित में कार्य किया है, और इसका यह ट्रैक रिकॉर्ड सभी को ज्ञात है। आज जो कांग्रेस नेता अपनी राजनीति के लिए आरोप लगाते हैं, वे पूरी तरह से गलत हैं और उनकी असलियत अब देश की जनता समझ चुकी है।

भाजपा विधायक शिखा राय ने कहा, "इस विजयादशमी पर, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 वर्ष पूरे कर रहा है, मैं सभी को हार्दिक बधाई देती हूं। हमें गर्व है कि हमारा देश ऐसा संगठन रखता है जिसकी स्थापना 1925 में राष्ट्रीय चेतना, जागरण और उत्थान के लिए हुई थी। आज यह संगठन देश के हर कोने तक पहुंच चुका है जहाँ इसकी आवश्यकता है।"

एक स्वयंसेवक ने कहा, "संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर सभी स्वयंसेवक एकजुट हैं। यह केवल संगठन का उत्सव नहीं, बल्कि प्रत्येक स्वयंसेवक के जीवन का उत्सव है। अगले 100 वर्षों में भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए अधिक अनुशासन, समर्पण और त्याग के साथ कार्य करना हमारी जिम्मेदारी है। यही हमारी प्रतिज्ञा और भक्ति है।"

Point of View

बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। संघ का शताब्दी समारोह एकता और सेवा का प्रतीक है, और यह दर्शाता है कि कैसे एक संगठन ने राष्ट्र के उत्थान में योगदान दिया है।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

आरएसएस का शताब्दी समारोह कब मनाया गया?
आरएसएस का शताब्दी समारोह 2 अक्टूबर 2023 को मनाया गया।
शस्त्र पूजा का महत्व क्या है?
शस्त्र पूजा शक्ति और रक्षा का प्रतीक है, जो संगठन की एकता और बलिदान को दर्शाता है।
बैजयंत पांडा ने संघ के बारे में क्या कहा?
बैजयंत पांडा ने संघ के मिशन को अद्वितीय और अविस्मरणीय बताया है।