क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष, 2 अक्टूबर को नागपुर में होगा विजयादशमी उत्सव?

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस का शताब्दी वर्ष 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
- कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि होंगे।
- उत्सव का उद्देश्य हिंदू संस्कृति और एकता को बढ़ावा देना है।
- इस आयोजन में बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों की उपस्थिति की उम्मीद है।
- आरएसएस का गठन 1925 में हुआ था।
नागपुर, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर विजयादशमी उत्सव का भव्य आयोजन करने की योजना बना रहा है। यह कार्यक्रम 2 अक्टूबर को सुबह 7:40 बजे नागपुर के रेशीमबाग मैदान में आयोजित होगा। इस विशेष अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे, जबकि सरसंघचालक मोहन भागवत उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे।
आरएसएस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस आयोजन की जानकारी साझा की है। संगठन के अनुसार, यह ऐतिहासिक उत्सव विश्व शांति और मानव कल्याण के उद्देश्य को समर्पित है, जो हिंदू समाज की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक रूप में प्रस्तुत करेगा।
आरएसएस के सोशल मीडिया एक्स हैंडल के अनुसार, नागपुर महानगर के संघचालक राजेश लोया ने सभी से सपरिवार समय से पहले कार्यक्रम में उपस्थित होने की अपील की है। यह उत्सव युगाब्द 5127 के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी, गुरुवार को आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नागपुर और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों और नागरिकों की उपस्थिति की उम्मीद है।
आरएसएस ने इस आयोजन को संघ के शताब्दी वर्ष का उत्सव बताया है। इसे हिंदू समाज के एकजुटता और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है। संघ की ओर से कहा गया है कि इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद और डॉ. मोहन भागवत के उद्बोधन से समाज को नई दिशा और प्रेरणा मिलेगी। सभी से इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने का आह्वान किया गया है।
यह भी जान लें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारत का एक हिंदू राष्ट्रवादी, स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू संस्कृति, एकता और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देना है। आरएसएस स्वयंसेवकों के माध्यम से सामाजिक सेवा, शिक्षा और चरित्र निर्माण पर जोर देता है। यह शाखाओं के द्वारा शारीरिक प्रशिक्षण, अनुशासन और वैचारिक चर्चा का आयोजन करता है।