क्या सचिन पायलट का रायपुर दौरा संगठन को मजबूत बनाने में सहायक होगा?

सारांश
Key Takeaways
- संगठन को मजबूत करने की दिशा में प्रयास
- भाजपा सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल
- मानसून सत्र की रणनीति पर चर्चा
- नक्सलवाद और हिंसा के खिलाफ ठोस कदम
- सभी स्तरों पर सक्रियता की आवश्यकता
रायपुर, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर रायपुर आए। वे प्रदेश कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में जिला कांग्रेस पदाधिकारी, संगठन के प्रमुख विभागों के प्रतिनिधि और कार्यकारिणी सदस्य संगठन विस्तार से लेकर मानसून सत्र में प्रदेश सरकार को घेरने तक के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
सचिन पायलट ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बैठक का उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि बैठक का मुख्य लक्ष्य अब तक के कार्यों की समीक्षा करना और भविष्य की रणनीति तैयार करना है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने 2025 को संगठन सशक्तिकरण के लिए समर्पित किया है, इसलिए पार्टी जमीनी स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन को मजबूत करने पर कार्य कर रही है।
उन्होंने बताया कि दो दिन तक चलने वाली इस बैठक में संगठन में आवश्यक बदलाव, नई रणनीतियां और रोडमैप पर विस्तृत चर्चा होगी। सोमवार रात सभी विधायकों के साथ एक विशेष बैठक होगी, जिसमें विधानसभा के आगामी मॉनसून सत्र की रणनीति बनाई जाएगी।
पायलट ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति कमजोर रही है। सरकार के निर्णय रायपुर से कम और दिल्ली से अधिक संचालित हो रहे हैं। इससे जनता का भरोसा चुने हुए नेताओं पर कम हुआ है, क्योंकि वे हर फैसले के लिए दिल्ली की ओर देखते हैं। पायलट ने यह भी कहा कि कांग्रेस की जिम्मेदारी सरकार को जवाबदेह बनाना है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए पायलट ने कहा, "कांग्रेस विधायकों ने सदन में राज्य के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया है। अब मॉनसून सत्र के लिए और मजबूत रणनीति बनाई जाएगी।" नक्सलवाद और हिंसा के मुद्दे पर कहा, "कांग्रेस हमेशा हिंसा और उग्रवाद के खिलाफ रही है। पार्टी के नेताओं ने देश और राज्य की सुरक्षा के लिए कई बलिदान दिए हैं।"
उन्होंने कहा, “आंतरिक सुरक्षा के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। कार्रवाई में सभी पक्षों को विश्वास में लिया जाए। यह कठोर, पारदर्शी और प्रभावी होनी चाहिए। पुलिस और अर्धसैनिक बल अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं, इसलिए कार्रवाई का लाभ आम लोगों तक पहुंचना चाहिए। नक्सल हिंसा को खत्म करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा, ताकि लोग हिंसा का रास्ता छोड़ें।”