क्या सरकार फाइलों में होनी चाहिए या नागरिकों की ज़िंदगी में? : प्रधानमंत्री मोदी

सारांश
Key Takeaways
- सरकार का नागरिकों की ज़िंदगी में होना जरूरी है।
- आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य में सुधार किया है।
- पीएम आवास योजना से लाखों लोगों को घर मिला है।
- जनधन खाते ने लोगों को बैंकिंग से जोड़ा है।
- पीएम स्वनिधि योजना ने रेहड़ी-पटरी वालों के लिए नए अवसर खोले हैं.
नई दिल्ली, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से बताया कि सरकार को फाइलों में नहीं, बल्कि देश के नागरिकों की ज़िंदगी में होना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार की प्रमुख उपलब्धियों और योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि कोई भी हकदार नहीं छूटना चाहिए और हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि सरकार उनके घरों तक पहुंचे।
देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "गरीबी का अनुभव मुझे किताबों में नहीं पढ़ना पड़ा। मैंने सरकार में काम किया है, इसलिए मेरी कोशिश हमेशा यह रही है कि 'सरकार फाइलों में नहीं, बल्कि नागरिकों की ज़िंदगी में होनी चाहिए।' दलित, पीड़ित, शोषित और वंचित वर्गों के लिए सरकारें सकारात्मक तरीके से प्रगतिशील और जनहित में होनी चाहिए, इस दिशा में हम निरंतर प्रयासरत हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जनधन खाते केवल बैंक खाते नहीं हैं, बल्कि इनसे लोगों को यह एहसास हुआ है कि बैंक के दरवाजे उनके लिए भी खुलते हैं। उन्होंने 'आयुष्मान भारत' योजना की प्रशंसा करते हुए कहा, "यह योजना बीमारी को सहन करने की आदत से मुक्त करने और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मदद करने का कार्य कर रही है। हम वरिष्ठ नागरिकों को 5-5 लाख रुपये की सहायता देकर उनके स्वास्थ्य की चिंता करते हैं। 'पीएम आवास' योजना के तहत 4 करोड़ लोगों का घर मिलना उनके सपने का पूरा होना है।"
उन्होंने आगे कहा, "रेहड़ी-पटरी वालों के लिए 'पीएम स्वनिधि योजना' सरकार ने शुरू की। आज वे लोग यूपीआई के माध्यम से लेन-देन कर रहे हैं, यह एक बड़ा बदलाव है। 'लोगों की ज़िंदगी में सरकार' होनी चाहिए, इसी कारण से ऐसी योजनाएं बनाई जा रही हैं।