क्या सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमालिया के अपने अनुभव साझा किए?

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क्या सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमालिया के अपने अनुभव साझा किए?

सारांश

सोमालिया में एक युवा मेजर के रूप में तैनात जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने साझा किए अनुभव, जिसमें उन्होंने विभिन्न देशों के सैनिकों के साथ काम किया। उन्होंने वैश्विक शांति की आवश्यकता और भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।

Key Takeaways

  • जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमालिया में तैनाती के अनुभव साझा किए।
  • वैश्विक शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के महत्व को बताया।
  • नवाचार और समावेशिता की आवश्यकता पर बल दिया।
  • रक्षा प्रदर्शनी के माध्यम से तकनीकी सहयोग को बढ़ावा दिया।

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को अपने कुछ महत्वपूर्ण अनुभव साझा किए। नई दिल्ली में 32 देशों के सेना प्रमुख और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच उन्होंने अपनी युवा अवस्था में सोमालिया में तैनाती का उल्लेख किया।

अपने सैनिक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि 1993-94 में सोमालिया में एक युवा मेजर के रूप में तैनाती के दौरान उन्होंने बांग्लादेश, फ्रांस, इटली, मलेशिया, मोरक्को, नेपाल, नाइजीरिया और युगांडा के सैनिकों के साथ मिलकर सेवा की।

उन्होंने कहा, "जब विभिन्न देशों, संस्कृतियों और भाषाओं के सैनिक एक ही झंडे - शांति के झंडे - के तहत काम करते हैं, तो यह एक अद्भुत एकजुटता की मिसाल होती है। 1948 से आज तक संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना ने लाखों लोगों के लिए आशा की किरण के रूप में कार्य किया है।"

उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इस बात का प्रतीक है कि विश्व समुदाय अब भी उस संकल्प पर अडिग है कि शांति केवल एक आकांक्षा नहीं, बल्कि वास्तविकता बने। जनरल उपेंद्र द्विवेदी मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शांति सेना योगदानकर्ता देशों के प्रमुखों के सम्मेलन में बोल रहे थे।

यहां भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने वैश्विक शांति के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शांति स्थापना सैनिक का कार्य नहीं है, लेकिन यह कार्य केवल एक सैनिक ही कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डैग हैमरशोल्ड के इस कथन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि यही भाव आज भी शांति अभियानों की आत्मा है। भारतीय सेना परिचालन उत्कृष्टता, प्रौद्योगिकीय नवाचार और क्षमता निर्माण के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने नई दिल्ली स्थित “सेंटर फॉर यूएन पीसकीपिंग” जैसे संस्थानों की भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया।

थलसेना प्रमुख ने शांति अभियानों में नवाचार, समावेशिता और पारस्परिक सहयोग (इंटरऑपरेबिलिटी) की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल रक्षा क्षेत्र में ऐसे व्यवहारिक और विस्तार योग्य समाधान प्रस्तुत करती है जो वैश्विक साझेदारों के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।

उद्घाटन दिवस के अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह, संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के अवर-महासचिव जीन पियरे लैक्रोआ, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वथनेनी हरीश, तथा अनेक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और अधिकारीगण उपस्थित रहे। इन सभी ने वैश्विक शांति अभियानों के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लिया।

भारतीय सेना द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र ट्रूप कंट्रीब्यूटिंग कंट्रीज चीफ्स कॉन्क्लेव में 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भाग ले रहे हैं, जो संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। भाग लेने वाले देशों में अल्जीरिया, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, बुरुंडी, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, फिजी, फ्रांस, घाना, इटली, कजाखस्तान, केन्या, किर्गिस्तान, मेडागास्कर, मलेशिया, मंगोलिया, मोरक्को, नेपाल, नाइजीरिया, पोलैंड, रवांडा, श्रीलंका, सेनेगल, तंज़ानिया, थाईलैंड, युगांडा, उरुग्वे और वियतनाम शामिल हैं।

इस कॉन्क्लेव में संयुक्त क्षमता निर्माण के लिए रक्षा प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है, जिसमें विभिन्न देशों के बीच सहयोग और तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Point of View

जिसमें जनरल उपेंद्र द्विवेदी के व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से वैश्विक शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर किया गया है। यह संदेश स्पष्ट है कि भारत शांति के लिए दृढ़ संकल्पित है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को समझता है।
NationPress
14/10/2025

Frequently Asked Questions

सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी का सोमालिया में क्या अनुभव था?
उन्होंने विभिन्न देशों के सैनिकों के साथ मिलकर शांति स्थापना के प्रयासों में काम किया।
भारत की वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्धता क्या है?
भारत शांति स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह सुनिश्चित करता है कि शांति एक वास्तविकता बने।
संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भारत का योगदान क्या है?
भारत ने विभिन्न शांति अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है और अपनी क्षमताओं को भी बढ़ाया है।