सेनाओं के लिए 67,000 करोड़ रुपए के प्रस्ताव मंजूर? एस-400 के रखरखाव को भी स्वीकृति

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सेनाओं के लिए 67,000 करोड़ रुपए के प्रस्ताव मंजूर? एस-400 के रखरखाव को भी स्वीकृति

सारांश

नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में 67,000 करोड़ रुपए के रक्षा अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। यह कदम भारत की सेनाओं की परिचालन क्षमताओं को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • रक्षा अधिग्रहण प्रस्तावों में 67,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
  • एस-400 लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस का रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा।
  • थल सेना के लिए नई तकनीकों की खरीद होगी।
  • नौसेना को आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता की स्वीकृति मिली।
  • वायु सेना के लिए पर्वतीय रडार की खरीद को मंजूरी दी गई।

नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में मंगलवार को लगभग 67,000 करोड़ रुपए के विभिन्न रक्षा अधिग्रहण प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई।

इस बैठक में एस-400 लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के लिए वार्षिक रखरखाव अनुबंध को भी स्वीकृति दी गई है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय भारत की तीनों सेनाओं – थल सेना, नौसेना और वायु सेना की परिचालन क्षमताओं को सशक्त बनाने की दिशा में लिया गया है। भारतीय थल सेना के बीएमबी बख्तरबंद वाहनों के लिए थर्मल इमेजर आधारित ड्राइवर नाइट साइट की खरीद को भी मंजूरी दी गई है। इससे रात्रि में वाहनों की चलाने की क्षमता में वृद्धि होगी और मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री को उच्च गतिशीलता और संचालनिक लाभ मिलेगा।

साथ ही, भारतीय नौसेना के लिए भी कई आधुनिक उपकरणों की खरीद की आवश्यकता को स्वीकृति दी गई है। नौसेना के लिए कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सरफेस क्राफ्ट, ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और बराक-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अपग्रेडेशन को मान्यता मिली है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इनमें से कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सरफेस क्राफ्ट पनडुब्बी रोधी अभियानों में खतरे की पहचान, वर्गीकरण और निष्क्रिय करने की क्षमता प्रदान करेगा।

अगर हम भारतीय वायु सेना की बात करें, तो इसके लिए पर्वतीय रडार की खरीद और सक्षम-स्पाइडर हथियार प्रणाली के अपग्रेडेशन को मंजूरी दी गई है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि पर्वतीय रडार सीमावर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में वायु निगरानी में सुधार करेंगे, जबकि सक्षम-स्पाइडर प्रणाली को इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से जोड़ने से वायु रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। तीनों सेनाओं के लिए मीडियम ऑल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट की खरीद को भी स्वीकृति दी गई है। ये ड्रोन लंबी दूरी और लंबे समय तक संचालन में सक्षम होंगे, जिससे 24x7 निगरानी और युद्धक क्षमता में बड़ा सुधार होगा।

इनके अलावा, सी-17 और सी-130जे के बेड़े के रखरखाव और एस-400 लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के लिए वार्षिक रखरखाव अनुबंध को भी मंजूरी दी गई है। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह निर्णय आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल सशस्त्र बलों की तैयारियों को मजबूती मिलेगी, बल्कि उभरते खतरों का सामना करने के लिए उनकी रणनीतिक क्षमता भी सुदृढ़ होगी।

Point of View

NationPress
05/08/2025

Frequently Asked Questions

इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य भारत की सेनाओं की परिचालन क्षमताओं को सशक्त बनाना है।
एस-400 सिस्टम का रखरखाव क्यों महत्वपूर्ण है?
एस-400 सिस्टम का रखरखाव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है।