क्या सेंसेक्स में 176 अंक की गिरावट और वेदांता के शेयर 3 प्रतिशत से अधिक लुढ़क गए?

सारांश
Key Takeaways
- सेंसेक्स 176.43 अंक गिरकर 83,536.08 पर बंद हुआ।
- वेदांता के शेयर 3.29 प्रतिशत गिरकर 441.30 पर पहुंचे।
- मुख्य सेक्टरों में ऑटो और फाइनेंशियल सर्विसेज में वृद्धि हुई।
- आईटी और मेटल सेक्टर में गिरावट आई।
मुंबई, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार में बुधवार के सत्र में मिलाजुला कारोबार देखने को मिला। हालांकि, दिन के अंत में सेंसेक्स 176.43 अंक या 0.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83,536.08 पर और निफ्टी 46.40 अंक या 0.18 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,476.10 पर रहा।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी मिश्रित कारोबार देखने को मिला। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 75.85 अंक या 0.13 प्रतिशत की गिरावट के साथ 59,339.60 पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 112.20 अंक या 0.59 प्रतिशत की बढ़त के साथ 19,007.40 पर बंद हुआ।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म वायसराय रिसर्च की रिपोर्ट के कारण सत्र में वेदांता का शेयर फोकस में रहा।
शॉर्ट-सेलर फर्म द्वारा एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वेदांता समूह एक "पोन्जी" स्कीम जैसा है। हालांकि, इस दावे का अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली कंपनी ने खंडन किया है।
वेदांता का शेयर 3.29 प्रतिशत गिरकर 441.30 रुपए पर बंद हुआ है।
सेक्टोरल आधार पर ऑटो, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा और एफएमसीजी हरे निशान में बंद हुए। आईटी, पीएसयू बैंक, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी और प्राइवेट बैंक लाल निशान में बंद हुए।
सेंसेक्स पैक में बजाज फाइनेंस, एचयूएल, अल्ट्राटेक सीमेंट, एमएंडएम, पावर ग्रिड, एशियन पेंट्स, आईटीसी, एचडीएफसी बैंक, इटरनल (जोमैटो), बजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी और कोटक महिंद्रा बैंक शीर्ष लाभार्थी रहे। एचसीएल टेक, टाटा स्टील, टेक महिंद्रा और रिलायंस इंडस्ट्रीज शीर्ष हानि में रहे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि भारत के प्रमुख सूचकांक मोटे तौर पर सीमित दायरे में रहे, जबकि घरेलू उपभोग ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित करना जारी रखा। एफएमसीजी कंपनियों की शुरुआती टिप्पणियों से सुधार के संकेत मिल रहे हैं, जिन्हें मुद्रास्फीति में कमी, अच्छे मानसून और बढ़ती ग्रामीण मांग से मदद मिल रही है।
उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक व्यापार तनाव और कमोडिटी टैरिफ के बावजूद, निवेशकों का ध्यान घरेलू आय और संरचनात्मक विकास कारकों की ओर बढ़ रहा है, जिसमें शहरी मांग में संभावित क्रमिक सुधार और बुनियादी ढांचे पर आधारित खर्च में वृद्धि शामिल है।