क्या महाराष्ट्र: शिरडी साईं बाबा संस्थान में 76 लाख का विद्युत घोटाला हुआ है?

सारांश
Key Takeaways
- आर्थिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता।
- लोकल प्रशासन की लापरवाही का गंभीर परिणाम।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- न्यायपालिका का सख्त रुख।
- अधिकारियों पर कार्रवाई का महत्व।
शिर्डी, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देशभर के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का एक प्रमुख केंद्र शिरडी का श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट में एक गंभीर आर्थिक घोटाला उजागर हुआ है। संस्थान के विद्युत विभाग में 76 लाख रुपए के विद्युत सामान के गबन का खुलासा लेखा परीक्षण (ऑडिट) के दौरान हुआ है। इस संबंध में शिरडी पुलिस ने संस्थान के 47 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज किया है।
न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जांच में यह बात प्रकट हुई कि एक वर्ष पहले हुए ऑडिट में यह मामला सामने आया था, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए। प्रशासन की लापरवाही को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संजय बाबुताई काले ने न्याय के लिए औरंगाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ में क्रिमिनल रिट याचिका दायर की।
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, 15 अक्टूबर को शिरडी पुलिस को सभी 47 आरोपियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। इस सख्त रुख के बाद ही शिरडी पुलिस ने मामला दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी की।
एक रिपोर्ट के अनुसार, विद्युत विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने मिलकर साजिश रची। उन्होंने अपने अधीनस्थ विद्युत सामग्री का सही पंजीकरण नहीं किया। कई कीमती वस्तुओं को जानबूझकर 'डेड स्टॉक रजिस्टर' में फर्जी तरीके से दर्ज कर दिया गया, जबकि वास्तविकता में वे सामग्री संस्थान से गायब थीं। इस प्रकार, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने संस्थान को करोड़ों का आर्थिक नुकसान पहुँचाया।
पुलिस जांच में यह सामने आया है कि 39 आरोपियों ने अपनी जिम्मेदारी की राशि संस्थान को चुका दी है, लेकिन 8 आरोपी अभी भी बकाया हैं।
फरियादी संजय काले ने इस पूरे घोटाले से संबंधित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत प्राप्त किए थे। उनकी गहन छानबीन ने विद्युत विभाग में चल रही अव्यवस्था, फर्जी प्रविष्टियां और सामग्री की हेराफेरी का पूरा विवरण सामने ला दिया। स्थानीय स्तर पर शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होने पर उन्हें अंततः उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद, शिरडी पुलिस ने दस्तावेजों, ऑडिट रिपोर्टों और जवाबदेही की समीक्षा के लिए एक टीम का गठन किया है।
इस घटना ने ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारियों और उनकी निगरानी प्रणाली के लिए एक बड़ी चेतावनी दी है कि अब उन्हें आर्थिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कड़ाई से लेखापरीक्षण लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।