क्या श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में 182 देशों में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया?

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क्या श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में 182 देशों में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया?

सारांश

गुरु पूर्णिमा का पर्व इस वर्ष विश्वभर में धूमधाम से मनाया गया। श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में लाखों भक्तों ने आस्था और श्रद्धा के साथ इस पावन अवसर को मनाया। जानिए इस उत्सव की ख़ास बातें।

Key Takeaways

  • गुरु पूर्णिमा का उत्सव 182 देशों में मनाया गया।
  • श्री श्री रविशंकर ने लाखों शिष्यों को जोड़ा।
  • विशेष ध्यान सत्र ने शांति और खुशी का संचार किया।
  • भारत के विभिन्न शहरों में गुरु पूजा और सत्संग का आयोजन हुआ।
  • लोगों ने लाइव वेबकास्ट के माध्यम से इस उत्सव का आनंद लिया।

नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका सहित विश्व के हर कोने में गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। लाखों शिष्यों ने अपने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के प्रति अपनी कृतज्ञताखुशी और ज्ञान का प्रकाश फैलाया।

इस वैश्विक उत्सव का केंद्र बिंदु अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में बून का आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम रहा। यहाँ से श्री श्री रविशंकर ने 182 देशों के शिष्यों को जोड़ा। कुछ भक्त व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए, जबकि लाखों ने लाइव वेबकास्ट के माध्यम से इस उत्सव का आनंद लिया।

गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर श्री श्री रविशंकर ने एक विशेष पूर्णिमा ध्यान सत्र का आयोजन किया, जिसने सभी के मन में शांति और खुशी का संचार किया। इस समारोह में श्वास योग के स्वामी वचनानंद भी उपस्थित रहे। प्राचीन परंपरा के अनुसार, भक्तों ने अपने गुरु के प्रति सम्मान प्रकट किया।

श्री श्री रविशंकर ने कहा, "जैसे हवा हमेशा हमारे चारों ओर होती है, लेकिन उसका अनुभव तभी होता है जब हम उसे महसूस करें, उसी तरह गुरु पूर्णिमा का दिन भी जुड़ाव का दिन है। गुरु हमें दुखों से राहत दिलाते हैं, खुशियां बिखेरते हैं और हमारे भीतर ज्ञान और प्रतिभा को जागृत करते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "इस गुरु पूर्णिमा पर आपके भीतर ज्ञान का दीप प्रज्वलित हो। इसे अपने मन में दृढ़ता से धारण करें और जान लें कि गुरु के निकट रहना एक ऐसा निर्णय है, जिसे आपको स्वयं लेना होगा।"

भारत में आर्ट ऑफ लिविंग के सभी केंद्रों पर गुरु पूर्णिमा को विशेष गुरु पूजा और सत्संग के साथ मनाया गया। लोग अमेरिका से लाइव वेबकास्ट के माध्यम से इस वैश्विक उत्सव से जुड़े। बेंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग अंतरराष्ट्रीय केंद्र में उत्सव की शुरुआत ध्यान और दक्षिणामूर्ति होम से हुई, जो सर्वोच्च ज्ञान के अवतार भगवान दक्षिणामूर्ति का आह्वान है।

इसके पश्चात गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की बहन भानुमति नरसिम्हन और 150 से अधिक गुरु पूजा पंडितों के साथ एक सामूहिक गुरु पूजा का आयोजन हुआ।

नई दिल्ली में भारत मंडपम में साहिल जगतियानी के भजनों ने भक्तों को भावविभोर कर दिया। पाँच हजार से अधिक भक्तों ने सभागार को खचाखच भर दिया और भजनों पर झूमते और नृत्य करते रहे। मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे शहरों में भी सत्संग, ध्यान और गुरु पूजा के आयोजन हुए, जिनमें हजारों लोग शामिल हुए।

Point of View

बल्कि यह सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। देशभर में लाखों भक्तों ने इस अवसर पर अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त की। आयोजनों की संपूर्णता ने यह संकेत दिया कि आस्था और संस्कृति आज भी हमारे समाज में जीवित हैं।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

गुरु पूर्णिमा का महत्व क्या है?
गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक है, जब भक्त अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
गुरु पूर्णिमा मनाने के लिए कौन-कौन से कार्यक्रम आयोजित किए गए?
इस दिन विशेष गुरु पूजा, ध्यान सत्र और सत्संग का आयोजन किया गया।
श्री श्री रविशंकर का संदेश क्या था?
उन्होंने गुरु पूर्णिमा के दिन ज्ञान के दीप को प्रज्वलित करने का संदेश दिया।
गुरु पूर्णिमा का उत्सव किस स्थान पर मनाया गया?
गुरु पूर्णिमा का मुख्य उत्सव अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में बून के आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में मनाया गया।
क्या इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का आयोजन ऑनलाइन भी हुआ?
हाँ, लाखों भक्तों ने लाइव वेबकास्ट के माध्यम से इस उत्सव में भाग लिया।