क्या श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 'दो विधान-दो प्रधान-दो निशान' से मुक्ति का संकल्प लिया?

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क्या <b>श्यामा प्रसाद मुखर्जी</b> ने 'दो विधान-दो प्रधान-दो निशान' से मुक्ति का संकल्प लिया?

सारांश

जम्मू-कश्मीर में भाजपा के कार्यक्रम में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदानों को स्मरण किया गया। जानें कैसे उन्होंने 'दो विधान-दो प्रधान-दो निशान' से मुक्ति का संकल्प लिया और इसके पीछे की कहानी।

Key Takeaways

  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी का योगदान भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण है।
  • उन्होंने 'दो विधान-दो प्रधान-दो निशान' से मुक्ति का संकल्प लिया।
  • जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हुआ।
  • बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है।
  • अमरनाथ यात्रा एक ऐतिहासिक तीर्थयात्रा है।

जम्मू, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर रविवार को देशभर में कार्यक्रमों का आयोजन किया। जम्मू-कश्मीर में प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा के नेतृत्व में एक भव्य समारोह का आयोजन हुआ। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि इस कार्यक्रम में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को याद किया गया। उन्होंने ‘दो विधान-दो प्रधान-दो निशान’ से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया था।

चुघ ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती को भाजपा हर बूथ पर मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को ‘दो विधान-दो प्रधान-दो निशान’ से मुक्ति दिलाने का कार्य किया। यह संघर्ष उन्होंने आरंभ किया और इसे पूरा करने का संकल्प लिया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाकर पूरा किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक ऐतिहासिक कार्य की शुरुआत की थी। लियाकत अली समझौते के दौरान मुखर्जी ने कहा था कि बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था। आज भी बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है, जहाँ हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यकों का अनुपात 25 प्रतिशत से घटकर लगभग 2 प्रतिशत रह गया है। यह स्थिति निस्संदेह चिंताजनक है।

उन्हें बिहार में महागठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज भी राज्य की जनता लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के ‘जंगलराज’ को याद कर डर जाती है। उस समय लालू यादव का परिवार राज्य की जनता को डराता और धमकाता था। उनके शासनकाल में चारा घोटाले जैसे मामले सामने आए। उस समय बिहार में कानून-व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी, और आए दिन लूटपाट और दुष्कर्म की घटनाएँ होती थीं।

वहीं, अमरनाथ यात्रा पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा, "बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ यात्रा में दुनिया भर से लोग आ रहे हैं। पूरा प्रशासन तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। यह निस्संदेह एक ऐतिहासिक तीर्थयात्रा है।"

Point of View

बल्कि देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। यह विचार आज भी प्रासंगिक है और हमें एक सशक्त भारत की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाता है।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 'दो विधान-दो प्रधान-दो निशान' का क्या अर्थ बताया?
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 'दो विधान-दो प्रधान-दो निशान' का मतलब जम्मू-कश्मीर में विशेष स्थिति के अंत से जोड़ा।
कब और कैसे नरेंद्र मोदी ने इस संकल्प को पूरा किया?
नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35 ए को समाप्त करके इस संकल्प को पूरा किया।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति क्या है?
बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है, जहाँ उनका अनुपात 25 प्रतिशत से घटकर लगभग 2 प्रतिशत रह गया है।