क्या राजस्थान में मां दुर्गा की मूर्तियां बनाने के लिए बंगाल से आए मूर्तिकार हर साल एक करोड़ का कारोबार करते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- सीकर में मां दुर्गा की मूर्तियां बनाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
- बंगाल से आने वाले मूर्तिकार इको फ्रेंडली सामग्री का उपयोग करते हैं।
- यहां हर साल एक करोड़ रुपये का कारोबार होता है।
- मूर्तियों की कीमत 3000 से 31000 रुपये के बीच होती है।
- मूर्तिकारों के ऑर्डर एक साल पहले से ही आना शुरू हो जाते हैं।
सीकर, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के विभिन्न हिस्सों में नवरात्रि के उपलक्ष्य में तैयारियां जोरों पर हैं। इस पवित्र मौके पर, राजस्थान के सीकर में मां दुर्गा की प्रतिमाओं को खरीदने के लिए लोगों में भारी उत्साह है। हर साल, बंगाल से विशेष मूर्तिकार इस कार्य के लिए बुलाए जाते हैं, जो चार से पांच महीने पहले ही यहां पहुंच जाते हैं। मूर्तिकार राजूपाल ने बताया कि ये मूर्तियां इको फ्रेंडली हैं।
मूर्तिकार ने आगे बताया कि प्रतिमाओं के निर्माण में पर्यावरण का ध्यान रखा गया है। विशेष बात यह है कि कारीगर अपने साथ बंगाल की मिट्टी भी लेकर आते हैं।
मूर्तिकारों के अनुसार, प्रतिमा में फिनिशिंग केवल बंगाल की मिट्टी से ही संभव है। देवी दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने में कई महीने लगते हैं। शुरुआत में लकड़ी का ढांचा बनाया जाता है, फिर इस पर घास-फूंस, सुतली और स्थानीय मिट्टी का लेप लगाया जाता है। अंत में, बंगाल की विशेष मिट्टी से फाइनल फिनिशिंग की जाती है। यह मिट्टी चिकनी और चिपचिपी होती है, जिससे प्रतिमा सूखने के बाद भी दरारें नहीं आतीं। बाद में, इसे कपड़े से ढककर वॉटर कलर से रंगा जाता है। अंतिम आठ दिनों में कारीगर प्रतिमाओं को गहनों से सजाते हैं।
सीकर में कई स्थानों पर मूर्तियां बनाई जा रही हैं, जिनकी कीमत 3000 रुपये से लेकर 31000 रुपये तक है। सीकर में नागौर, झुंझुनूं, चुरु, फतेहपुर और आस-पास के जिलों से भी लाखों की मूर्तियों के ऑर्डर आते हैं। इस प्रकार, सीकर में हर साल एक करोड़ से अधिक मूर्तियों का कारोबार होता है। अशोक विहार में मूर्ति बना रहे मूर्तिकार राजूपाल का कहना है कि वह नवरात्रि तक 15 लाख की मूर्तियां बनाकर बेच देंगे।
राजूपाल ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि इस बार 100 से अधिक मूर्तियां बनाने का लक्ष्य है। इसके लिए 11 मूर्तिकार बंगाल से आए हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पास माता रानी की मूर्तियां बनवाने के लिए कुछ ग्राहक हैं तो कुछ देवी के दरबार बनवाने के लिए। इस तरह की कई अलग-अलग रूपों की मूर्तियों के ऑर्डर एक साल पहले से ही आने शुरू हो जाते हैं। सीकर में बंगाली मूर्तिकार पिछले 25 वर्षों से दुर्गा प्रतिमाएं बनाने के लिए बंगाल से आते हैं। खास बात यह है कि ये मूर्तिकार सिर्फ इको फ्रेंडली मिट्टी और घास-फूस की मूर्तियां बनाते हैं, जो पानी में विसर्जन के बाद घुल जाती हैं और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं।