क्या सूबेदार जोगिंदर सिंह ने 20 सैनिकों के साथ 200 चीनियों को चकमा दिया?

सारांश
Key Takeaways
- सूबेदार जोगिंदर सिंह का अद्वितीय साहस
- 20 सैनिकों के साथ 200 चीनी सैनिकों का सामना
- परमवीर चक्र से सम्मानित
- देश के प्रति निस्वार्थ बलिदान
- युद्ध में अदम्य साहस का उदाहरण
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सूबेदार जोगिंदर सिंह ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में अद्वितीय साहस और वीरता का प्रदर्शन किया और देश के लिए शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
जोगिंदर सिंह का जन्म 26 जनवरी 1921 को पंजाब के फरीदकोट में हुआ था। युद्ध के समय वह केवल 20 भारतीय सैनिकों के साथ 200 चीनी सैनिकों का सामना कर रहे थे।
चीन ने सुबह करीब साढ़े पांच बजे बूम ला एक्सिस से भारतीय सीमा पर हमला किया। सूबेदार सिंह ने पूर्व में ही स्थिति की गंभीरता को भांप लिया था और अपने आलाधिकारियों को सूचित किया।
भारत ने तुरंत कार्रवाई करते हुए चीनी हमले का जवाब देने की तैयारी की। इस युद्ध में सूबेदार सिंह ने अद्भुत पराक्रम दिखाया।
हालांकि, भारतीय सैनिकों की संख्या केवल 20 थी, लेकिन सूबेदार सिंह ने चीनी सैनिकों को डटकर सामना किया। उन्होंने कई चीनी सैनिकों को मार गिराया और अपने 20 जांबाजों के साथ आगे बढ़ने से रोका।
युद्ध के दौरान वे खुद भी घायल हुए, लेकिन उन्होंने लड़ाई जारी रखी। उनके अंतिम क्षणों में, उन्होंने वाहे गुरु का खालसा, वाहे गुरु की फतह का नारा लगाते हुए दुश्मनों पर हमला किया।
आखिर में, बुरी तरह जख्मी सूबेदार सिंह को चीनी सैनिकों ने बंदी बना लिया और वे कभी वापस नहीं लौट सके। तीन भारतीय सैनिक किसी तरह वहां से भाग निकले और सूबेदार जोगिंदर सिंह की वीरता की कहानी सुनाई। उन्हें उनके साहस के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया।