क्या सुहास एलवाई, पैरालंपिक मेडल और अर्जुन पुरस्कार जीतने वाले एकमात्र आईएएस अधिकारी हैं?

सारांश
Key Takeaways
- शिक्षा और खेल में संतुलन
- कठिनाइयों से जूझने की प्रेरणा
- खुद पर विश्वास रखना
- सकारात्मक सोच का महत्व
- सफलता का मार्ग मेहनत से गुजरता है
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एक प्रचलित कहावत है- पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे होगे खराब। परंतु, सुहास एलवाई यतिराज ने इस कहावत को गलत साबित कर दिया है। सुहास, जो पैरा बैडमिंटन के विश्वस्तरीय खिलाड़ियों में से एक हैं, ने अपनी शिक्षा के माध्यम से भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' की परीक्षा पास कर एक आईएएस अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया।
सुहास एलवाई का जन्म 2 जुलाई 1983 को कर्नाटक के हसन जिले में हुआ। उनके पिता सरकारी सेवा में थे। सुहास को बाएं टखने में जन्मजात विकृति से जूझना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और जीवन में कुछ बड़ा करने का संकल्प लिया। उनके माता-पिता का भी इस संघर्ष में बड़ा योगदान रहा। वह बचपन से ही पढ़ाई में प्रतिभाशाली रहे और अपनी स्कूली शिक्षा शिवमोगा, कर्नाटक में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने एनआईटी, सुरतकल से कम्प्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने 2007 में भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की।
सुहास की बैडमिंटन के प्रति प्रारंभिक रुचि थी, और उन्होंने इस खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता प्राप्त की है। 2016 में उन्होंने पैरा बैडमिंटन का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय इवेंट जीतकर भारत का नाम रोशन किया, जब उन्होंने बीजिंग में आयोजित एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में इंडोनेशिया के हैरी सुसांतो को हराकर गोल्ड मेडल जीता। उस समय वह यूपी के आजमगढ़ जिले के जिलाधिकारी थे। 2018 में उन्होंने राष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता। 2020 के टोक्यो पैरालंपिक और 2024 के पेरिस पैरालंपिक में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता।
उनकी अकल्पनीय उपलब्धियों के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें कई बार सम्मानित किया गया है। 2016 में उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा यश भारती सम्मान से नवाजा गया। 2021 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। सुहास एलवाई भारत के एकमात्र आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने पैरालंपिक मेडल और अर्जुन पुरस्कार दोनों जीते हैं। वह उत्तर प्रदेश में महाराजगंज, हाथरस, सोनभद्र, जौनपुर, आजमगढ़, प्रयागराज और गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी रह चुके हैं। इस समय वह उत्तर प्रदेश सरकार के युवा कल्याण मंत्रालय के सचिव एवं महानिदेशक हैं।
उनकी कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है, यदि हम स्पष्ट लक्ष्य के साथ ईमानदारी से मेहनत करें।