क्या मोटे अनाजों की प्राकृतिक खेती से सुमन का जीवन संवर रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- प्राकृतिक खेती से आर्थिक विकास संभव है।
- सरकारी योजनाओं का सही उपयोग महिलाओं को सशक्त बनाता है।
- स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सामूहिक उद्यमिता को बढ़ावा मिलता है।
- ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता के नए रास्ते मिलते हैं।
- स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है।
लखनऊ, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कभी छोटी जोत की किसान परिवार की बहू रही सुमन देवी आज पूरे वाराणसी में 'कृषि सखी' के नाम से जानी जाती हैं। मिशन शक्ति के माध्यम से प्रदेश की महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी सुमन देवी नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की एक नई कहानी लिख रही हैं।
वाराणसी जिले के सेवापुरी ब्लॉक के मड़ैया गांव की निवासी सुमन ने योगी सरकार की मदद से न केवल अपने परिवार को आर्थिक मजबूती प्रदान की, बल्कि हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक नई राह भी दिखाई है। योगी सरकार से मोटे अनाजों के बीज और तकनीकी सहयोग मिलने के बाद सुमन ने 2019 में प्राकृतिक खेती का मार्ग चुना और आज उनकी पहचान पूरे प्रदेश में मिसाल बन गई है।
प्रदेश सरकार मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बीज और तकनीकी सहायता उपलब्ध करा रही है। इस प्रेरणा से सुमन देवी ने खेती का तरीका बदला और प्राकृतिक खेती को अपनाया।
सुमन देवी ने अपने ढाई एकड़ खेत में मक्का, बाजरा और राई जैसे मोटे अनाजों की खेती प्राकृतिक तरीके से शुरू की। योगी सरकार का सहयोग मिलने से खेती में लागत कम रही और मुनाफा उम्मीद से कहीं ज्यादा। अब सुमन हर सीजन में तीन लाख रुपए से अधिक का लाभ कमा रही हैं। वह गर्व से कहती हैं कि योगी सरकार की सहायता और योजनाओं की जानकारी ने उनकी जिंदगी बदल दी। पहले सोचा भी नहीं था कि इतनी कम जमीन से इतनी बड़ी आमदनी होगी।
सुमन देवी की सफलता से प्रेरित होकर आसपास की 5,000 से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनके साथ जुड़ गईं। ये महिलाएं अपने अनाज और सब्जियां सुमन के माध्यम से बेचती हैं। पैकेजिंग, प्रसंस्करण और बाजार तक पहुंचाने का कार्य सामूहिक रूप से किया जाता है। इस मॉडल ने ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता और सामूहिक उद्यमिता का मार्ग प्रशस्त किया है।
सुमन ने अपने गांव में चक्की यूनिट स्थापित की है। यहां मोटे अनाजों की पिसाई करके मल्टीग्रेन आटा तैयार किया जाता है। यह आटा ग्राहकों की मांग के अनुसार खुला और पैक दोनों रूपों में उपलब्ध कराया जाता है। स्थानीय बाजार में यह उत्पाद तुरंत बिक जाता है, वहीं पैकिंग के जरिए भी कई ग्राहक इसे पसंद कर रहे हैं।
सुमन कहती हैं कि उनके पास ग्राहकों की बड़ी संख्या है। उत्पाद इतना पसंद किया जाता है कि खेती की जोत कम पड़ जाती है। हर सीजन में अनाज तुरंत बिक जाता है। हाल ही में मक्के की खेती हुई है और अब इसमें राई की बुआई की गई है। अनाज तैयार होते ही इसे मल्टीग्रेन आटा के रूप में बाजार में उपलब्ध कराया जाता है। इलाके के ज्यादातर ग्राहक चक्की से ही आटे को खरीद लेते हैं।
सुमन देवी केवल मोटे अनाजों तक सीमित नहीं हैं। वह गो-पालन भी करती हैं, जिससे दूध और दुग्ध उत्पादों से आय का अतिरिक्त साधन जुड़ गया है। इसके साथ ही उन्होंने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के साथ मिलकर प्राकृतिक सब्जी उत्पादन भी शुरू किया है। इस मिश्रित मॉडल से न केवल नियमित आय हो रही है, बल्कि ग्रामीण समाज को 'स्वस्थ भोजन, स्वच्छ खेती' का संदेश भी मिल रहा है।
सुमन देवी के घर में उनकी सास, पति और दो बच्चे हैं। उनके पति धर्मेंद्र सिंह पंचायत भवन में कर्मचारी हैं, जो खेती में भी मदद करते हैं। पूरे परिवार ने मिलकर खेती को आजीविका का मजबूत आधार बना दिया है।
सुमन कहती हैं, "योगी सरकार की योजनाओं ने मुझे हिम्मत दी। आज मैं न केवल अपने परिवार का अच्छे से पालन-पोषण कर रही हूं, बल्कि गांव की हजारों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखा रही हूं।"