क्या बांके बिहारी मंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी पक्ष को फटकार लगाई?

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क्या बांके बिहारी मंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी पक्ष को फटकार लगाई?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर विवाद में गोस्वामी पक्ष को चेतावनी दी है। अदालत ने कहा है कि बार-बार एक ही मुद्दे को उठाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। क्या यह विवाद आगे बढ़ेगा? जानें इस मामले के सभी पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी पक्ष को फटकार लगाई।
  • एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना अनुचित है।
  • भविष्य में पुनरावृत्ति पर कार्रवाई की जाएगी।
  • मंदिर का प्रशासन एक नवगठित ट्रस्ट को सौंपा गया है।
  • कोर्ट ने अदालत के समय और प्रक्रिया का सम्मान करने की अपील की।

नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बांके बिहारी मंदिर विवाद में गोस्वामी पक्ष को कड़ी फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि बार-बार एक ही मुद्दे को उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने गोस्वामी पक्ष को फटकार लगाते हुए कहा कि बार-बार एक ही मुद्दे को उठाना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

कोर्ट ने कड़े लहजे में कहा, "आप इस तरह के खेल खेलना और चालें चलना बंद करें। एक ही विषय को बार-बार उठाना न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है। यह अनुचित है और इसे रोका जाना चाहिए।"

पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति हुई या जानबूझकर मामला किसी अन्य पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, तो संबंधित वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।

प्रदेश सरकार ने दलील दी कि गोस्वामी पक्ष पहले ही इस मामले को दूसरी पीठ में स्थानांतरित करने का प्रयास कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी हरकतें अदालत के समय और प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं।

कोर्ट ने गोस्वामी पक्ष को चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला बांके बिहारी मंदिर से संबंधित विवाद से जुड़ा है।

ज्ञात रहे कि मथुरा के वृंदावन में स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन समिति ने यूपी सरकार के अध्यादेश 'श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025' को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस अध्यादेश के तहत मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण एक नवगठित ट्रस्ट को सौंपा गया है, जिसे याचिकाकर्ताओं ने मंदिर के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया है।

याचिका में कहा गया है कि यह मंदिर के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के समान है। मंदिर राज्य की संपत्ति या ट्रस्ट नहीं है।

Point of View

यह मामला केवल एक धार्मिक स्थल के अधिकारों का नहीं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा का भी है। अदालत को एक स्पष्ट संदेश देने की आवश्यकता है कि न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। हमें इस मामले पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
NationPress
31/07/2025

Frequently Asked Questions

बांके बिहारी मंदिर विवाद क्या है?
यह विवाद उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश और मंदिर प्रबंधन समिति के बीच है, जिसमें प्रशासनिक नियंत्रण की बात की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी पक्ष को क्यों फटकार लगाई?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
क्या गोस्वामी पक्ष ने पहले भी मामला उठाया था?
हाँ, गोस्वामी पक्ष ने पहले ही इस मामले को दूसरी पीठ में स्थानांतरित करने का प्रयास किया था।
बांके बिहारी मंदिर का प्रशासन किसके पास है?
मंदिर का प्रशासन एक नवगठित ट्रस्ट को सौंपा गया है, जिस पर विवाद है।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी का क्या असर होगा?
यदि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति होती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।