क्या सुप्रीम कोर्ट तलाक-ए-हसन जैसी प्रथाओं पर फैसला करेगा? अब नवंबर में होगी सुनवाई

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क्या सुप्रीम कोर्ट तलाक-ए-हसन जैसी प्रथाओं पर फैसला करेगा? अब नवंबर में होगी सुनवाई

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तलाक-ए-हसन जैसी प्रथाओं पर गंभीर चिंतन शुरू किया है। यह निर्णय तलाक पीड़िता बेनजीर हिना की याचिका के बाद लिया गया है। आयोगों से राय मांगी गई है, और सुनवाई नवंबर में होगी। क्या यह महिलाएं न्याय दिलाएगा?

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-हसन जैसी प्रथाओं पर गहन जांच शुरू की है।
  • नेशनल कमीशन फॉर वूमेन से राय मांगी गई है।
  • तलाक-ए-हसन में हर महीने तलाक का प्रक्रिया होती है।
  • अगली सुनवाई 19 और 20 नवंबर 2025 को होगी।
  • महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बाईन जैसी प्रथाओं की गहन जांच प्रारंभ की है। कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से राय मांगी है। यह कदम तलाक पीड़िता बेनजीर हिना की याचिका के बाद उठाया गया है।

कोर्ट ने कहा है कि तीन तलाक (तलाक-ए-बिदत) को 2017 में असंवैधानिक घोषित करने के बावजूद, तलाक-ए-हसन जैसी प्रथाएं अब भी जारी हैं। तलाक-ए-हसन में तीन महीने के भीतर प्रत्येक महीने एक बार तलाक दिया जाता है, जिससे रिश्ता समाप्त हो जाता है। इससे महिलाओं और उनके बच्चों की जिंदगी पर गहरा असर पड़ रहा है। कोर्ट ने इन प्रथाओं के सामाजिक और कानूनी प्रभावों की जांच हेतु आयोगों को नोटिस जारी किया है।

सोमवार (11 अगस्त) की सुनवाई में अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इन जनहित याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि ये याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं। बोर्ड का तर्क है कि ये मुद्दे निजी कानून के दायरे में आते हैं।

वहीं, अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में दलील दी कि तीन तलाक के मामले में कोर्ट ने तलाक-ए-हसन जैसे अन्य तरीकों पर अभी तक निर्णय नहीं दिया था। लेकिन, अब इसकी आवश्यकता है। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि एकतरफा तलाक, चाहे वह चिट्ठी, ईमेल, व्हाट्सएप या एसएमएस के माध्यम से हो, बंद होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 19 और 20 नवंबर 2025 को होगी।

उपाध्याय ने कहा, " इस फैसले से देश की महिलाओं को न्याय मिलेगा और तलाक की प्रक्रिया हर किसी के लिए समान होगी। गुजारा भत्ता भी सभी को समान रूप से मिलना चाहिए और एक समान कानून लागू होना चाहिए, जो एकतरफा तलाक पर रोक लगाए।"

Point of View

यह सुनवाई मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तलाक की प्रथाओं पर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा कर सकता है, बल्कि समाज में समानता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। न्यायपालिका का यह कदम महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और न्याय की ओर एक मजबूत संकेत है।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

तलाक-ए-हसन क्या है?
तलाक-ए-हसन एक प्रक्रिया है जिसमें पति हर महीने तीन बार तलाक कहता है, जिससे रिश्ता खत्म हो जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या किया?
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-हसन सहित अन्य प्रथाओं पर गहन जांच शुरू की है और आयोगों से राय मांगी है।
तलाक-ए-हसन के खिलाफ क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
इस प्रथा के खिलाफ न्यायपालिका की ओर से गंभीर विचार चल रहा है और अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
क्या यह निर्णय महिलाओं के लिए फायदेमंद होगा?
इस निर्णय से महिलाओं को न्याय मिल सकता है और तलाक की प्रक्रिया में समानता आ सकती है।
अगली सुनवाई कब होगी?
मामले की अगली सुनवाई 19 और 20 नवंबर 2025 को होगी।