क्या टैरिफ मामले पर राजनीति करनी चाहिए?

Click to start listening
क्या टैरिफ मामले पर राजनीति करनी चाहिए?

सारांश

विक्रमजीत सिंह साहनी ने टैरिफ मामले पर विपक्ष की भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि विपक्ष ने हमेशा राष्ट्रीय हित में सरकार का समर्थन किया है। अमेरिका के टैरिफ से निपटने के लिए साहनी ने वैश्विक मंचों पर मजबूत स्थिति बनाने की जरूरत पर जोर दिया।

Key Takeaways

  • टैरिफ मुद्दे पर राजनीति न करने की सलाह।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 50 फीसदी टैरिफ चुनौती है।
  • राष्ट्रीय हितों के लिए विपक्ष का समर्थन।
  • ब्रिक्स और एससीओ में भारत की स्थिति को मजबूत करने की आवश्यकता।
  • गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में आयात बढ़ाने की सलाह।

नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के संबंध में कहा है कि विपक्ष 'ऑपरेशन सिंदूर' के समय भी सरकार के साथ था, और अब भी टैरिफ के मुद्दे पर साथ है। उन्होंने राजनीतिक दलों को सलाह दी कि इस विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

गुरुवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में साहनी ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए चीन यात्रा करेंगे, जहां विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही संवाद के लिए जा चुके हैं।

साहनी ने अमेरिका द्वारा भारत के निर्यात पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बताया।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने किसानों, मछुआरों और डेयरी क्षेत्र के हितों को प्राथमिकता दी है, भले ही इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़े। भारत अपनी राष्ट्रीय और ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा, जैसा कि भारतीय अधिकारियों ने भी पुष्टि की है। उन्होंने भारत, रूस, चीन और ईरान जैसे देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया, विशेषकर ब्रिक्स और एससीओ जैसे मंचों के माध्यम से।

साहनी ने कहा कि ब्रिक्स देशों को उच्च टैरिफ से असहजता हो रही है, लेकिन भारत को डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने अमेरिका की मांगों, विशेषकर डेयरी और पोल्ट्री क्षेत्रों को खोलने के दबाव को अनुचित बताया, क्योंकि इसमें सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक मुद्दे शामिल हैं। भारत में डेयरी और पोल्ट्री क्षेत्रों में पशु चारा और इंजेक्शन जैसे मुद्दों के कारण धार्मिक संवेदनाएं हैं और 43 बिलियन डॉलर की कृषि सब्सिडी पर भी असर पड़ सकता है। भारत सोयाबीन और दालों जैसे कुछ क्षेत्रों में आयात बढ़ा सकता है, जहां कमी है, लेकिन डेयरी और पोल्ट्री जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रियायत देना उचित नहीं है।

साहनी ने यह भी कहा कि भारत एक उभरती हुई 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है और गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत का बाजार और कम लागत वाला कार्यबल महत्वपूर्ण है। भारत में इन कंपनियों के बीपीओ और बैक ऑफिस से 64 बिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त होता है। वैश्वीकरण के दौर में कोई भी देश अकेले नहीं रह सकता, और अमेरिका को भी भारत की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हितों, जैसे 'ऑपरेशन सिंदूर' और टैरिफ जैसे मुद्दों पर, विपक्ष सरकार के साथ है। हालांकि, राजनीतिक मुद्दों को इन गंभीर मामलों में नहीं लाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जहां राष्ट्रीय हितों की बात है, वहां विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है, लेकिन राजनीति से अलग मुद्दों पर अलग-अलग चर्चा हो सकती है।

साहनी का मानना है कि भारत को अपनी आर्थिक और कूटनीतिक ताकत का उपयोग करते हुए, ब्रिक्स और एससीओ जैसे मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत करनी चाहिए, ताकि अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके और वैश्विक मंच पर भारत की छवि और हितों की रक्षा हो सके।

Point of View

राजनीति को अलग रखकर इन मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए।
NationPress
07/08/2025

Frequently Asked Questions

विक्रमजीत सिंह साहनी ने टैरिफ मुद्दे पर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि टैरिफ मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और विपक्ष हमेशा सरकार के साथ है।
भारत के लिए अमेरिकी टैरिफ का क्या असर होगा?
साहनी ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बताया।
भारत को किन देशों के साथ संबंध मजबूत करने चाहिए?
भारत को रूस, चीन और ईरान जैसे देशों के साथ संबंध मजबूत करने की आवश्यकता है।