क्या तरनतारन उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत 60.95% तक पहुंचा?

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क्या तरनतारन उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत 60.95% तक पहुंचा?

सारांश

तरनतारन विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत 60.95% तक पहुंच गया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सिबिन सी ने निर्वाचन प्रक्रिया की सराहना की और मतदाताओं का धन्यवाद किया। जानिए उपचुनाव की पूरी जानकारी और आगामी मतगणना के बारे में।

Key Takeaways

  • 60.95% मतदान प्रतिशत
  • मतगणना की तारीख: 14 नवंबर
  • कश्मीर सिंह सोहल का निधन
  • 15 उम्मीदवार मैदान में
  • पंजाब के निर्वाचन अधिकारी की सराहना

चंडीगढ़, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) सिबिन सी ने जानकारी दी है कि तरनतारन विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में शाम 6 बजे तक मतदान का प्रतिशत लगभग 60.95 प्रतिशत रहा।

सिबिन सी ने बताया कि सभी मतदान दलों के मतदान केंद्रों पर लौटने के बाद और अंतिम डेटा प्रविष्टि पूरी होने के बाद, बुधवार तक सही आंकड़े अपडेट किए जाएंगे। उन्होंने तरनतारन क्षेत्र के मतदाताओं का धन्यवाद किया, जिन्होंने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया।

उन्होंने चुनाव प्रक्रिया के दौरान सुव्यवस्थित प्रबंधन और कड़ी निगरानी के लिए उपायुक्तों, रिटर्निंग अधिकारियों और मतदान अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की। पंजाब पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, मतदान अधिकारियों, स्वयंसेवकों और अन्य सभी संबंधित व्यक्तियों की मेहनत और समर्पण की भी उन्होंने प्रशंसा की।

साथ ही, उन्होंने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों का सहयोग देने के लिए आभार व्यक्त किया और मीडियाकर्मियों की भूमिका की भी सराहना की।

तरनतारन उपचुनाव की मतगणना 14 नवंबर को होगी।

गौरतलब है कि आप विधायक कश्मीर सिंह सोहल के निधन के कारण यह उपचुनाव अनिवार्य हो गया था। सोहल ने शिरोमणि अकाली दल के हरमीत सिंह संधू को हराकर 52,935 मतों से यह सीट जीती थी।

इस चुनाव में 15 उम्मीदवार हैं, जिनमें सुखविंदर कौर (शिरोमणि अकाली दल), हरजीत सिंह संधू (भारतीय जनता पार्टी), हरमीत सिंह संधू (आम आदमी पार्टी) और अन्य शामिल हैं।

Point of View

NationPress
11/11/2025

Frequently Asked Questions

तरनतारन उपचुनाव कब होगा?
तरनतारन उपचुनाव की मतगणना 14 नवंबर को होगी।
उपचुनाव में मतदान प्रतिशत कितना रहा?
उपचुनाव में मतदान प्रतिशत लगभग 60.95% रहा।
किस कारण से उपचुनाव हुआ?
यह उपचुनाव कश्मीर सिंह सोहल के निधन के कारण अनिवार्य हो गया था।