क्या तेजस्वी यादव ने एसआईआर पर उठाए सवाल, कहा 'पारदर्शिता नहीं बरती गई'?

सारांश
Key Takeaways
- 65 लाख लोगों के नाम हटाना एक बड़ा मुद्दा है।
- चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं।
- राजनीतिक दलों को सही जानकारी नहीं दी गई।
- तेजस्वी का नाम भी वोटर लिस्ट से गायब है।
- बूथवार सूची जारी करने की मांग की गई है。
पटना, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को एसआईआर में 65 लाख लोगों के नाम काटे जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जो सूची प्रस्तुत की गई है, उसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। इस मामले में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई है।
एक प्रेस कांफ्रेंस में तेजस्वी ने कहा कि चुनाव आयोग का यह कदम निंदनीय है। उन्होंने बताया कि हर विधानसभा क्षेत्र से लगभग 20 से 30 हजार नाम हटाए गए हैं, जो कुल मिलाकर लगभग 65 लाख यानी करीब 8.5% मतदाताओं के नाम हैं।
उन्होंने बताया कि विधानसभा वार जो नाम हटाए गए हैं, उनमें यह नहीं बताया गया है कि कितने व्यक्तियों का निधन हुआ, कितने स्थायी रूप से स्थानांतरित हुए, और कितने लोगों के नाम दो स्थान पर हैं। तेजस्वी ने कहा कि राजनीतिक दलों को जो सूची दी गई है, उसमें किसी भी मतदाता का पता, बूथ संख्या और EPIसी नंबर नहीं दिया गया है, जिससे हम यह जान सकें कि किन व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि जिनका नाम काटा गया है, उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया। चुनाव आयोग पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पहले ही निर्देशित कर दिया गया है कि किसका वोट काटना है और किसे जीताना है। चुनाव आयोग पूरी तरह एक राजनीतिक दल के इशारे पर काम कर रहा है।
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि उनका नाम वोटर लिस्ट से गायब है, अब वे चुनाव कैसे लड़ा पाएंगे? उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने एसआईआर के दौरान गणना प्रपत्र भरा था; इसके बावजूद भी उनका नाम काटा गया है। उन्होंने इसे गड़बड़ घोटाला करार दिया।
उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की कि बूथवार सूची जारी की जानी चाहिए, जो अलग-अलग श्रेणियों के साथ हो। उन्होंने सवाल उठाया कि नाम काटे जाने की कौन सी तकनीक अपनाई गई है। उन्होंने चुनाव आयोग को चेतावनी दी कि बिहार कमजोर नहीं है, सभी का हिसाब दिया जाएगा।