क्या कालेश्वरम परियोजना की जांच रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई?

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क्या कालेश्वरम परियोजना की जांच रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई?

सारांश

तेलंगाना विधानसभा में कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना की जांच रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें पी.सी. घोष आयोग द्वारा अनियमितताओं का खुलासा किया गया है। क्या ये अनियमितताएँ तत्कालीन मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर संकट का संकेत देती हैं? जानें सारे तथ्य और विश्लेषण इस रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • कालेश्वरम परियोजना में अनियमितताओं की जांच की गई है।
  • पी.सी. घोष आयोग ने रिपोर्ट तैयार की है।
  • राज्य सरकार ने विधानसभा में रिपोर्ट पेश की।
  • केसीआर और अन्य मंत्रियों पर आरोप लगे हैं।
  • उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी।

हैदराबाद, 31 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना सरकार ने रविवार को राज्य विधानसभा में पी.सी. घोष आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जो कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के निर्माण में कथित अनियमितताओं की जांच से संबंधित है।

सभी सदस्यों को यह रिपोर्ट पेन ड्राइव में प्रदान की गई।

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष की अध्यक्षता में बनाए गए एक सदस्यीय आयोग ने 31 जुलाई को तेलंगाना सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

रविवार को दोपहर में घोष आयोग की रिपोर्ट पर संक्षिप्त चर्चा निर्धारित की गई है।

इस आयोग का गठन 14 मार्च, 2024 को पूर्व बीआरएस सरकार के कार्यकाल के दौरान निर्मित कालेश्वरम परियोजना के मेदिगड्डा, अन्नाराम और सुंदिला बैराजों में अनियमितताओं की जांच करने के लिए किया गया था।

रिपोर्ट के अध्ययन के बाद, अधिकारियों के एक पैनल द्वारा तैयार किए गए सारांश के अनुसार, आयोग ने कालेश्वरम परियोजना की योजना, क्रियान्वयन, पूर्णता, संचालन और रखरखाव में अनियमितताओं के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया।

रिपोर्ट में क्रमशः वित्त और सिंचाई मंत्री रहे एटाला राजेंद्र और टी. हरीश राव को भी दोषी ठहराया गया।

केसीआर और हरीश राव ने रिपोर्ट को रद्द करने और रद्द करने के निर्देश देने की मांग करते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आयोग के गठन को मनमाना और अवैध घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि यह जांच आयोग अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध है।

22 अगस्त को, उच्च न्यायालय ने कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया क्योंकि राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने और उस पर चर्चा करने से पहले याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव और सिंचाई एवं कमान क्षेत्र विकास सचिव को याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चार सप्ताह के भीतर विस्तृत प्रति-शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश देने के बाद सुनवाई पांच सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। याचिकाकर्ताओं को अपना जवाब (यदि कोई हो) दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।

Point of View

यह कहना उचित है कि कालेश्वरम परियोजना की जांच से तेलंगाना में राजनीतिक पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। यह रिपोर्ट न केवल स्थानीय नेताओं के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे सरकारी परियोजनाओं में अनियमितताओं का सामना किया जाना चाहिए।
NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

कालेश्वरम परियोजना की रिपोर्ट में किन-किन नेताओं को जिम्मेदार ठहराया गया है?
रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) और मंत्रियों एटाला राजेंद्र तथा टी. हरीश राव को जिम्मेदार ठहराया गया है।
घोष आयोग का गठन कब किया गया था?
घोष आयोग का गठन 14 मार्च, 2024 को किया गया था।
क्या उच्च न्यायालय ने कोई अंतरिम आदेश जारी किया?
22 अगस्त को, उच्च न्यायालय ने कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।