क्या त्रिपुष्कर योग में दान-पुण्य करने से स्थायी समृद्धि मिलेगी?

सारांश
Key Takeaways
- त्रिपुष्कर योग और रवि योग का महत्व
- दान-पुण्य का फलदायक होना
- शुभ कार्यों की शुरुआत का सही समय
- सफलता के लिए साधन और विधियां
- ज्योतिषीय संयोजन का प्रभाव
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। आषाढ़ माह की शुक्ल सप्तमी तिथि इस बार मंगलवार को आ रही है। इस दिन सूर्य मिथुन राशि में और चंद्र देव सिंह से कन्या राशि में स्थानांतरित होंगे। इस विशेष दिन पर त्रिपुष्कर और रवि योग का निर्माण हो रहा है।
आषाढ़ मास का शुक्ल पक्ष 30 जून को सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर षष्ठी तिथि के साथ शुरू होगा, इसके बाद सप्तमी तिथि आएगी। मंगलवार को त्रिपुष्कर योग का निर्माण होगा, जो मान्यता के अनुसार इस दिन किए गए कार्यों में सफलता का प्रतीक है।
ज्योतिष के अनुसार, विष्कंभ फलित ज्योतिष में सत्ताईस योगों में से पहला योग त्रिपुष्कर योग है। यह तब बनता है जब रविवार, मंगलवार और शनिवार में द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी तिथि हो और उस दिन विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु, या कृत्तिका नक्षत्र हो। वहीं, रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से 4, 6, 9, 10, 13 और 20वें स्थान पर हो।
त्रिपुष्कर योग को अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। इसमें किए गए कार्यों का फल तीन गुना मिलता है। यह विशेष रूप से व्यापार, संपत्ति खरीद, विवाह, शिक्षा, वाहन खरीद एवं नए कार्यों की शुरुआत के लिए उत्तम होता है। इस दिन शुभ कार्य आरंभ करने से उनका प्रभाव स्थायी, त्रिगुणित और दीर्घकालिक होता है।
इस योग में सफलता पाने के लिए, सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें और आसन बिछाएं। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु या अपने इष्टदेव का पूजन करें। इसके बाद भगवान के वस्त्र, इत्र, फूल, आभूषण, दीप, धूप और नैवेद्य अर्पित करें। अंत में भगवान की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें। यदि संभव हो तो दान-पुण्य भी करें ताकि कार्य में स्थिरता और समृद्धि बनी रहे।
रवि योग सूर्य और चंद्रमा के विशिष्ट संयोग से बनता है, जिसे विघ्नों का नाश करने वाला योग माना गया है। इसमें शुरू किए गए कार्य पूरे होते हैं। यह विशेष रूप से शिक्षा, परीक्षा, सर्जरी, नया व्यवसाय शुरू करने और यात्रा के लिए उत्तम होता है। इस दिन प्रातः सूर्य को तांबे के लोटे से जल में लाल फूल डालकर अर्घ्य दें और "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें। सूर्यनारायण के समक्ष गेहूं, गुड़ और लाल चंदन अर्पित करें और ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दें—यह उपाय रोग, कर्ज और प्रतिष्ठा संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।