क्या त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों के आधार पर कोई कुनबी प्रमाणपत्र जारी होगा? सीएम देवेंद्र फडणवीस का स्पष्टीकरण

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क्या त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों के आधार पर कोई कुनबी प्रमाणपत्र जारी होगा? सीएम देवेंद्र फडणवीस का स्पष्टीकरण

सारांश

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों के आधार पर कोई कुनबी प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा। उन्होंने ओबीसी समुदाय के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों पर जोर दिया। जानिए इस महत्वपूर्ण घोषणा के पीछे का सच।

Key Takeaways

  • त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों पर कोई भी कुनबी प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।
  • ओबीसी समुदाय के लिए सरकारी प्रयास जारी हैं।
  • प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक वंशावली समिति का गठन किया गया है।
  • राज्य में ओबीसी के लिए 63 छात्रावास बनाए गए हैं।
  • झूठे प्रमाण पत्र देना अपराध है।

मुंबई, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विरोधों के बीच, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उसके निर्णयों का दुरुपयोग करके ओबीसी जैसे किसी भी समुदाय के साथ अन्याय न हो।

उन्होंने पात्र मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र देने के लिए हैदराबाद गजट के कार्यान्वयन का समर्थन करते हुए कहा कि त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों के आधार पर किसी को भी यह प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा।

यह टिप्पणी उन्होंने ओबीसी प्रतिनिधिमंडलों के साथ बैठक में की, जिसमें एक वर्ग ने मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र देने के लिए 2 सितंबर को जारी सरकारी प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की थी।

मुख्यमंत्री ने कहा, "मराठवाड़ा वह क्षेत्र था जहां अंग्रेजों का नहीं, बल्कि निजाम का शासन था। इसलिए, वहां के अभिलेखों के आधार पर हैदराबाद राजपत्र को मान्यता दी गई है। किसी भी कुनबी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि सरकारी प्रस्ताव जारी करते समय सभी कानूनी प्रावधानों का पालन किया गया है, और यह कि प्रमाण पत्र केवल विवाह या शपथ पत्र के आधार पर नहीं दिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक वंशावली समिति का गठन किया गया है, और जारी किए गए प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी।

सीएम फडणवीस ने यह भी बताया कि ओबीसी समुदाय के लिए एक अलग कैबिनेट उप-समिति बनाई गई है, जो राज्य की सभी योजनाओं की निगरानी करेगी।

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ओबीसी उपजातियों के लिए कई निगम बनाए गए हैं और इन निगमों को आवश्यक पूंजी उपलब्ध कराई गई है।

उन्होंने कहा, "राज्य सरकार हमेशा कानून के दायरे में निर्णय लेती है।" उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार हर समुदाय को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

सीएम ने बताया कि महात्मा ज्योतिबा फुले शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (महाज्योति) को आवश्यक धनराशि दी गई है, जो ओबीसी, वंचित जातियों, घुमंतू जनजातियों और विशेष पिछड़ा वर्ग के विकास में सहायक होगा।

उन्होंने कहा कि इस महीने 1500 करोड़ रुपए का वितरण किया गया है।

राज्य में ओबीसी के लिए 63 छात्रावास बनाए गए हैं, और अण्णासाहेब पाटिल आर्थिक विकास महामंडल की सभी योजनाएं लागू की गई हैं।

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि किसी भी समुदाय को आरक्षण देते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अन्य के अधिकार प्रभावित न हों।

उन्होंने आश्वासन दिया, "सरकार की नीति सभी वर्गों को न्याय प्रदान करना है।" उन्होंने बताया कि झूठे प्रमाण पत्र देना एक अपराध है, और ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की राजनीति में आरक्षण का मुद्दा एक संवेदनशील विषय है। सीएम फडणवीस की यह घोषणा इस बात की पुष्टि करती है कि सरकार सभी समुदायों के अधिकारों का सम्मान करना चाहती है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जाए।
NationPress
04/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या सरकार किसी भी प्रमाण पत्र को त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों पर जारी करेगी?
नहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि त्रुटिपूर्ण दस्तावेजों के आधार पर कोई भी कुनबी प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा।
ओबीसी समुदाय के लिए सरकार के क्या प्रयास हैं?
सरकार ओबीसी समुदाय के विकास के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है और एक अलग उप-समिति का गठन किया गया है।
क्या प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पारदर्शी है?
जी हाँ, प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक वंशावली समिति का गठन किया गया है, जो प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।
सरकार ने ओबीसी समुदाय के लिए कितने छात्रावास बनाए हैं?
राज्य में ओबीसी के लिए 63 छात्रावास बनाए गए हैं।
क्या झूठे प्रमाण पत्र देना अपराध है?
हाँ, झूठे प्रमाण पत्र देना एक अपराध है, और ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।