क्या उद्धव और राज ठाकरे की संयुक्त रैली से 'महायुति' पर कोई असर नहीं होगा?

सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त रैली का कोई प्रभाव नहीं होगा।
- महायुति की मजबूती पर विश्वास।
- राजनीतिक एकता की आवश्यकता।
- भाजपा की विश्वसनीयता पर जोर।
- गुजराती समाज का समर्थन।
पुणे, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में मराठी-हिंदी भाषा विवाद को लेकर राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। इसी संदर्भ में शनिवार को शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज ठाकरे ने एक संयुक्त रैली का आयोजन किया। भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी ने कहा कि इस संयुक्त रैली का महायुति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मेधा कुलकर्णी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "महाराष्ट्र में हाल ही में चुनाव हुए हैं और उनका पूरा सूपड़ा साफ हो गया है। आगे भी ऐसा ही होगा, इसकी गारंटी है। इसलिए वे अब एक-दूसरे का सहारा ले रहे हैं। महायुति अच्छे से कार्य कर रही है और लोगों का विश्वास इस पर है। भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। इसीलिए चाहे वे लोग एकत्र हों या चुनाव लड़ें, हमारे लिए इसका कोई असर नहीं होने वाला।"
राज ठाकरे के इस बयान पर कि महायुति के पास विधान भवन की सत्ता है और उनके पास सड़क की सत्ता है, भाजपा सांसद ने कहा, "उनके पास नासिक की सत्ता थी, लेकिन उन्होंने वहाँ पर क्या किया? लोगों ने एक बार सत्ता देकर देखा है। महाराष्ट्र की जनता ने उन्हें आजमाया है और अब वे हम पर भरोसा कर रहे हैं। आगे होने वाले सभी चुनावों में भी विपक्षियों का सूपड़ा साफ होने वाला है।"
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के भाषण के अंत में "जय गुजरात" कहने पर राज्यसभा सांसद ने कहा, "क्या 'जय गुजरात' कहना आपत्ति की बात है? क्या वह राज्य इस देश का हिस्सा नहीं है? जब गुजराती समाज एकत्र होता है और उनके सामने 'जय महाराष्ट्र' के साथ-साथ 'जय गुजरात' भी बोला जाता है, तो इसमें आपत्ति जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "शरद पवार ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का उद्घाटन करते समय 'जय महाराष्ट्र, जय कर्नाटक' कहा था, तो क्या उस समय उनका महाराष्ट्र के प्रति स्वाभिमान कम हो गया था? इसलिए एकनाथ शिंदे जी पर आरोप लगाना बिल्कुल सही नहीं है।"