क्या उज्जैन में महाअष्टमी पर नगर पूजन और मदिरा का भोग अर्पित किया गया?

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क्या उज्जैन में महाअष्टमी पर नगर पूजन और मदिरा का भोग अर्पित किया गया?

सारांश

उज्जैन में महाअष्टमी के अवसर पर पारंपरिक नगर पूजन का आयोजन किया गया। देवी महामाया और देवी महालया को मदिरा का भोग अर्पित किया गया। यह परंपरा सम्राट विक्रमादित्य से चली आ रही है। जानिए इस विशेष पूजा का महत्व और स्थानीय लोगों की भागीदारी के बारे में।

Key Takeaways

  • महाअष्टमी पर पारंपरिक नगर पूजन का आयोजन।
  • देवी महामाया और देवी महालया को मदिरा का भोग अर्पित किया गया।
  • सम्राट विक्रमादित्य से चली आ रही परंपरा।
  • 27 किलोमीटर की पैदल यात्रा का आयोजन।
  • स्थानीय लोगों की उत्साही भागीदारी।

उज्जैन, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाअष्टमी के शुभ अवसर पर उज्जैन में एक पारंपरिक नगर पूजन का आयोजन किया गया।

शहर के 24 खंभा क्षेत्र में स्थित देवी महामाया और देवी महालया के मंदिरों में खास पूजा-अर्चना की गई। इस कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी (कलेक्टर) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने मिलकर नगर और देश की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।

पूजा के समय कलेक्टर और एसपी ने देवी महामाया और देवी महालया को मदिरा (शराब) का भोग अर्पित किया। यह परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल से चली आ रही है। पहले राजा-महाराजा और जमींदारों के बाद अब कलेक्टर और एसपी इस प्रथा को निभा रहे हैं। पूजा के बाद लगभग 27 किलोमीटर की पैदल यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें कोतवाल और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। इस यात्रा में 40 भैरव और देवी मंदिरों में मदिरा का भोग लगाकर पूजा की गई। मदिरा को एक हांडी में रखकर यह यात्रा पूरी की जाती है और इसे भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

जिलाधिकारी रोशन कुमार सिंह ने कहा, "जिले की सुख-समृद्धि और मंगल कामना के लिए यह पूजन बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे इस पूजा में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं सभी को महाअष्टमी और नवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।"

मंदिर के पुजारी रवि ने बताया कि यह यात्रा देवी महामाया और महालया के मंदिर से शुरू होकर हांडी भैरव मंदिर पर समाप्त होती है। यह परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के समय से शुरू हुई थी। वर्तमान में कलेक्टर और एसपी इस प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं, क्योंकि कलेक्टर को जिले का प्रशासनिक प्रमुख माना जाता है। यह पूजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।

इस आयोजन में स्थानीय लोग भी उत्साह से शामिल हुए। यह परंपरा उज्जैन की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है और भक्ति व एकता का संदेश देती है।

Point of View

यह कहना उचित है कि उज्जैन का यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सांस्कृतिक सामंजस्य और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। इस प्रकार की परंपरा का संरक्षण करना आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसे समझ सकें और अपनाए।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

महाअष्टमी पर नगर पूजन का महत्व क्या है?
महाअष्टमी पर नगर पूजन का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों स्तर पर है। यह पूजा देवी महामाया और देवी महालया की कृपा के लिए प्रार्थना का एक माध्यम है।
क्या मदिरा का भोग अर्पित करने की परंपरा है?
हाँ, यह परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। यह पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।