क्या उज्जैन में भस्म आरती में महाकाल का त्रिनेत्र स्वरूप भक्तों के लिए अद्भुत था?
सारांश
Key Takeaways
- महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती का आयोजन अद्भुत होता है।
- भक्तों को त्रिनेत्र स्वरूप के दर्शन का अवसर मिलता है।
- सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंधन किए जाते हैं।
- आरती में भाग लेने के लिए कोई विशेष अनुमति नहीं चाहिए।
- यह आयोजन धार्मिक एकता का प्रतीक है।
उज्जैन, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक मास के पावन अवसर पर शनिवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रात ४ बजे भस्म आरती के दौरान भक्तों को भगवान महाकाल के दिव्य दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
मंदिर के कपाट खुलते ही पुजारियों ने गर्भगृह में विराजमान भगवान महाकाल का पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस) से अभिषेक किया। इसके पश्चात बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई।
इस विशेष अवसर पर बाबा महाकाल को भांग, चंदन, ड्रायफ्रूट्स और सुगंधित पुष्पों से सजाया गया। उनके मस्तक पर त्रिनेत्र स्वरूप बेलपत्र धारण कराया गया, जिसने उनके स्वरूप को और भी अलौकिक बना दिया। श्रृंगार के बाद सभी की नजरें बाबा पर ठहर गईं।
रजत शेषनाग मुकुट और रुद्राक्ष की मालाओं से सज्जित महाकाल का रूप देखने लायक था। आरती के दौरान मंदिर परिसर में 'जय महाकाल' के जयघोष गूंजने लगे और वातावरण भक्तिमय हो गया। भस्म आरती में शामिल होने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे।
भक्तों का कहना है कि बाबा के निराकार से साकार होते हुए स्वरूप का साक्षात दर्शन करना जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है। आरती के बाद पुजारियों ने श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया और मंदिर परिसर में भक्ति संगीत की ध्वनियां गूंजती रहीं। आरती में हजारों श्रद्धालु बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन के लिए रात १ बजे से ही मंदिर के बाहर लाइन में लगे रहे।
महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन के अनुसार, कार्तिक मास में प्रतिदिन विशेष अनुष्ठान और श्रृंगार किए जा रहे हैं। आज का श्रृंगार सबसे मनमोहक था, जिसमें बाबा के त्रिनेत्र स्वरूप ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रशासन ने बताया कि रोजाना बाबा को नए स्वरूप में सजाया जाता है। हर स्वरूप का अपना महत्व होता है। श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही देखने को मिलती है। एक-एक करके श्रद्धालुएं बाबा का दर्शन करते हैं, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंधन किए गए हैं, जिससे किसी को कोई परेशानी न हो और हर श्रद्धालु दर्शन पूजन कर सके।