क्या उत्पन्ना एकादशी पर पापों का नाश और मोक्ष का मार्ग है? जानें श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए क्या करें और क्या न करें

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क्या उत्पन्ना एकादशी पर पापों का नाश और मोक्ष का मार्ग है? जानें श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए क्या करें और क्या न करें

सारांश

उत्पन्ना एकादशी का महत्व जानें और जानें कि कैसे इस दिन व्रत और पूजा करने से आप अपने पापों का नाश कर सकते हैं। इस विशेष दिन का सही तरीके से पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है।

Key Takeaways

  • उत्पन्ना एकादशी पर व्रत से पापों का नाश होता है।
  • इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • दान करने से अन्न और धन की कमी नहीं होती।
  • जो व्रत नहीं कर पा रहे, वे भी पूजा-पाठ कर सकते हैं।
  • एकादशी का महत्व धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी तिथि शनिवार को है। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।

पद्म, स्कंद और भविष्योत्तर पुराण में उत्पन्ना एकादशी के महत्व का उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस एकादशी पर व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से जातक के जीवन से पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस एकादशी पर धन की देवी मां लक्ष्मी और श्री हरि की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान करने से व्यक्ति को कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती। साथ ही यह दिन भक्तों के लिए अत्यधिक पुण्य प्राप्त करने का अवसर होता है।

धार्मिक ग्रंथों में उत्पन्ना एकादशी के लिए कुछ उपायों के बारे में बताया गया है। इस तिथि पर व्रत विधिपूर्वक करना चाहिए।

विधि-विधान से व्रत करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें। विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें और अब भगवान को धूप, दीप, अक्षत और पीले फूल चढ़ाएं, व्रत कथा सुनें और भगवान विष्णु की आरती करें। उसके बाद आरती का आचमन करें। इसके बाद दिनभर निराहार रहें और भगवान का ध्यान करें। मंत्र जप और ग्रंथों का पाठ करें। दान पुण्य करें। गायों की देखभाल करें। गोशाला में धन का दान करें।

जो लोग व्रत नहीं कर पा रहे हैं, वे विष्णु जी की पूजा करें, दान-पुण्य करें, मंत्र जप और ग्रंथों का पाठ करें। बीमार, गर्भवती और बच्चों के लिए व्रत करना जरूरी नहीं होता है। ये लोग पूजा-पाठ करके भी एकादशी व्रत के समान पुण्य कमा सकते हैं।

Point of View

एक ऐसा अवसर है जो न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक रूप से भी। यह दिन हमें अपने पापों को मिटाने और मोक्ष की ओर अग्रसर होने का मार्ग दिखाता है। हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए और धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए अपने जीवन को सशक्त बनाना चाहिए।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

उत्पन्ना एकादशी के दिन क्या किया जाता है?
उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखा जाता है, पूजा अर्चना की जाती है और दान किया जाता है।
क्या सभी लोग एकादशी का व्रत कर सकते हैं?
नहीं, बीमार, गर्भवती और छोटे बच्चों के लिए व्रत करना जरूरी नहीं होता है।