क्या उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 विधानसभा में पास हुआ, मदरसा बोर्ड होगा खत्म?

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क्या उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 विधानसभा में पास हुआ, मदरसा बोर्ड होगा खत्म?

सारांश

उत्तराखंड विधानसभा में अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पास हो गया है, जिससे मदरसा बोर्ड समाप्त होगा। यह नया विधेयक सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों को भी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा प्रदान करेगा। जानिए इस विधेयक की पूरी कहानी और इसके पीछे की राजनीति।

Key Takeaways

  • अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 का पास होना महत्वपूर्ण है।
  • मदरसा बोर्ड 1 जुलाई 2026 से समाप्त होगा।
  • सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों को भी शिक्षण संस्थान का दर्जा मिलेगा।
  • शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए प्राधिकरण का गठन होगा।
  • विरोध के बावजूद सरकार ने विधेयक को सफलतापूर्वक पास किया।

देहरादून, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड की विधानसभा में अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक को मंजूरी मिल गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम-2025 को स्वीकृति दी गई। बुधवार को इस विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत किया गया, जहां भारी हंगामे के बीच इसे पास किया गया।

विधानसभा में विपक्षी दलों ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक के विरोध में जोरदार हंगामा किया। विपक्ष ने विधेयक को रोकने का प्रयास किया, लेकिन सरकार ने इसे सदन से पास कराने में सफलता प्राप्त की।

विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने सदन में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान विधेयक से धारा 14 (ठ) को हटाने का प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकार करते हुए विधेयक से बाहर किया गया है।

राज्य में अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय के लिए था, लेकिन नए विधेयक के तहत सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों को भी यह सुविधा मिलेगी। 1 जुलाई 2026 से मदरसा बोर्ड भंग किया जाएगा और उसकी जगह उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन होगा। राज्य के 452 मदरसों सहित सभी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को अब नए प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त करनी होगी। सरकार का कहना है कि यह व्यवस्था शिक्षा की गुणवत्ता, पारदर्शिता और संस्थागत अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करेगी। मान्यता के लिए संस्थानों का एक्ट में पंजीकरण और संपत्ति उनके नाम पर होना आवश्यक होगा।

हालांकि, उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने उत्तराखंड सरकार के निर्णय पर विरोध जताया है। मुरादाबाद के मौलाना दानिश कादरी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, 'यदि कोई मुस्लिम हिंदू धर्म अपनाता है, तो उसका स्वागत होता है। इसी तरह, यदि कोई गैर-मुस्लिम इस्लाम धर्म अपनाता है, तो उस पर भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन यदि कोई जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराना चाहता है, तो यह गलत है।'

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, 'उत्तराखंड सरकार ने पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड का बिल जबरदस्ती पास कराया, जबकि मुसलमान, सिख, जैन, अनुसूचित जनजाति और कबायली समाज जैसे कई समुदायों ने सहमति नहीं जताई थी। अब वे मदरसा शिक्षा बोर्ड को समाप्त करके एक नया अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान लाने का ऐलान कर रहे हैं।'

Point of View

इस पर विरोध भी हो रहा है, जो दर्शाता है कि समाज में इसे लेकर विभिन्न दृष्टिकोण हैं। ऐसे में, सभी पक्षों की बात सुनना और एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 क्या है?
यह विधेयक विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों को शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करता है और मदरसा बोर्ड को समाप्त करता है।
इस विधेयक का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता, पारदर्शिता और संस्थागत अधिकारों की रक्षा करना है।
क्या सभी अल्पसंख्यक समुदायों को इसका लाभ मिलेगा?
हां, इस विधेयक के तहत सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों को भी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा मिलेगा।
मदरसा बोर्ड कब समाप्त होगा?
मदरसा बोर्ड 1 जुलाई 2026 से भंग किया जाएगा।
क्या इस विधेयक का विरोध हो रहा है?
हां, कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस विधेयक पर विरोध जताया है।