क्या 7 नवंबर को वंदे मातरम का 150वां उत्सव मनाने का समय आ गया है?
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम का 150वां उत्सव 7 नवंबर को मनाया जाएगा।
- पीएम मोदी ने इसे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताया।
- यह गीत भारतीय संस्कृति का अविभाज्य हिस्सा है।
- सभी नागरिकों को उत्सव में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया है।
- वंदे मातरम के माध्यम से राष्ट्र प्रेम को दर्शाया जाता है।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150वें वर्ष की शुरुआत 7 नवंबर को धूमधाम से मनाई जाएगी। इस बारे में पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 127वें एपिसोड में बताया कि 7 नवंबर को वंदे मातरम 150वें वर्ष में कदम रखेगा। वंदे मातरम हमारी देशभक्ति और राष्ट्रीय गर्व का अमिट प्रतीक है।
पीएम मोदी ने कहा, "मन की बात में मैंने एक ऐसे विषय पर बात की है, जो हम सभी के दिलों के बहुत करीब है। यह विषय है हमारे राष्ट्रीय गीत का—भारत का राष्ट्रीय गीत यानी वंदे मातरम। यह एक ऐसा गीत है, जिसका पहला शब्द ही हमारे दिल में भावनाओं का ज्वार ला देता है। वंदे मातरम इस एक शब्द में कितने भाव हैं, कितनी ऊर्जाएं हैं। यह हमें मातृभूमि के वात्सल्य का अनुभव कराता है। यही हमें मातृभूमि के संतान के रूप में अपने कर्तव्यों का बोध कराता है।"
पीएम मोदी ने आगे कहा, "कठिन समय में वंदे मातरम का उद्घोष 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है। दोस्तों, राष्ट्रभक्ति और मातृभूमि के प्रति प्रेम, यह एक अमूर्त भावना है, और वंदे मातरम उस भावना को स्वर देने वाला गीत है। इसकी रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी ने सदियों की गुलामी से मुक्त भारत में नए प्राण फूंकने के लिए की थी।"
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम भले ही 19वीं शताब्दी में लिखा गया था, लेकिन इसकी भावना भारत की हजारों वर्ष पुरानी अमर चेतना से जुड़ी हुई है। वेदों ने जिस भावना को "माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः" कहकर भारतीय संस्कृति की आधारशिला रखी थी।
पीएम मोदी ने कहा, "आप सोच रहे होंगे कि मैं अचानक वंदे मातरम के बारे में इतना क्यों बात कर रहा हूं। दरअसल, 7 नवंबर को हम वंदे मातरम के 150वें वर्ष के उत्सव में प्रवेश करने वाले हैं। 150 साल पहले वंदे मातरम की रचना हुई थी और 1896 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे गाया था।"
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के गान में करोड़ों देशवासियों ने हमेशा राष्ट्र प्रेम के अपार उफान का अनुभव किया है। हमारी पीढ़ियों ने वंदे मातरम के शब्दों में भारत के एक जीवंत और भव्य स्वरूप के दर्शन किए हैं।
पीएम मोदी ने कहा, "सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्, शस्यश्यामलाम्, मातरम्! वंदे मातरम्! हमें ऐसा ही भारत बनाना है। वंदे मातरम हमारे इन प्रयासों में हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इसलिए हमें वंदे मातरम के 150वें वर्ष को यादगार बनाना है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "आने वाली पीढ़ी के लिए इन संस्कारों को हमें आगे बढ़ाना है। आने वाले समय में वंदे मातरम से जुड़े कई कार्यक्रम होंगे, देश में कई आयोजन होंगे। मैं चाहता हूं कि हम सब देशवासी वंदे मातरम के गौरवगान के लिए स्वतः स्फूर्त भावना से प्रयास करें। आप मुझे अपने सुझाव #वंदेमातरम150 के साथ जरूर भेजें।"