क्या वाराणसी में गंगा का उफान प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है?

सारांश
Key Takeaways
- गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु को पार कर चुका है।
- 85 घाटों में से अधिकांश जलमग्न हो चुके हैं।
- 1,410 परिवार विस्थापित हो चुके हैं।
- भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है।
- फसलों को भी नुकसान हुआ है, लगभग 1,721 एकड़ ज़मीन डूब चुकी है।
वाराणसी, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में गंगा नदी ने एक बार फिर से अपना दुर्जेय रूप दिखाया है। लगातार हो रही पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर उफान पर है।
इसका सबसे अधिक प्रभाव वाराणसी में देखा जा रहा है, जहाँ गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु (70.26 मीटर) को पार कर चुका है और खतरे के निशान (71.26 मीटर) के निकट पहुँच गया है।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, मंगलवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 70.98 मीटर दर्ज किया गया, जो प्रति घंटे लगभग 1 सेंटीमीटर की गति से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 24 घंटों में यह और बढ़ सकता है।
शहर के कुल 85 घाटों में से अधिकांश पानी में डूब चुके हैं। अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट तक सभी पर गंगा का पानी है। घाटों के बीच संपर्क पूरी तरह टूटा है, जिससे एक घाट से दूसरे घाट तक जाना असंभव हो गया है।
घाट पर 'नमस्कार' आकृति वाली बड़ी प्रतिमा भी डूब चुकी है। घाट का प्लेटफॉर्म, सीढ़ियां और आसपास का क्षेत्र सब पानी में समा गया है। नमो घाट पर नीचे जाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। यहाँ सेल्फी पॉइंट और अन्य सुविधाएं बंद हैं।
बाढ़ का प्रभाव केवल घाटों तक सीमित नहीं है। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण वरूणा नदी में भी पलट प्रवाह हो गया है, जिससे नगवा, संगमपुरी कॉलोनी और अन्य निचले इलाकों में पानी घुस आया है। लगभग 24 मोहल्ले और 44 गांव प्रभावित हो चुके हैं। हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं।
बीएचयू के पास नगवा नाले से पानी भरने के कारण रामेश्वर मठ और आसपास के क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। गंगोत्री विहार कॉलोनी से 12 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। कुल 1,410 परिवार विस्थापित हो चुके हैं और 6,376 लोग प्रभावित हैं। फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है, 6,244 किसानों की 1,721 एकड़ ज़मीन डूब चुकी है।