क्या वाराणसी में रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल की अनोखी पहल, ग्रीन रेलवे की दिशा में कदम है?

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क्या वाराणसी में रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल की अनोखी पहल, ग्रीन रेलवे की दिशा में कदम है?

सारांश

भारतीय रेलवे ने वाराणसी में सोलर पैनल की अनोखी पहल की है। यह कदम न केवल ऊर्जा उत्पादन में मदद करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा। क्या यह भारतीय रेलवे के ग्रीन प्रोजेक्ट का भविष्य है?

Key Takeaways

  • बनारस रेल इंजन कारखाना ने सोलर पैनल की अनोखी प्रणाली स्थापित की है।
  • 28 सोलर पैनल द्वारा बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
  • यह पहल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में है।
  • पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है।
  • भविष्य में इस प्रणाली का विस्तार किया जाएगा।

वाराणसी, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रेलवे ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने रेलवे पटरियों के बीच देश की पहली रिमूवेबल सोलर पैनल प्रणाली स्थापित की है। यह पायलट प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे को पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

बरेका में 70 मीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर 28 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो प्रतिदिन 70 से 80 यूनिट बिजली पैदा कर रहे हैं। यह बिजली करीब 15 किलोवाट की क्षमता के बराबर है। इसका उपयोग कारखाने की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है।

बरेका के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) राजेश ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि रेलवे ट्रैक के बीच खाली जगह का उपयोग कर सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिससे अतिरिक्त जमीन अधिग्रहण की जरूरत नहीं पड़ी। यह पहल न केवल बिजली उत्पादन में मदद कर रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जगह के सदुपयोग में भी योगदान दे रही है।

उन्होंने कहा कि यह पायलट प्रोजेक्ट ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सुखद कदम है। अगर इस प्रोजेक्ट को 100 मीटर तक विस्तार दिया जाए, तो सालाना लगभग 3 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन संभव है। हालांकि, इस प्रणाली से जुड़ी कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनका अध्ययन किया जा रहा है। भविष्य में इसे और बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना है।

उन्होंने बताया कि पश्चिम रेलवे ने भी 12 अगस्त को रतलाम मंडल के नागदा-खाचरोद खंड पर देश की पहली 2×25 केवी विद्युत कर्षण प्रणाली शुरू की है। यह प्रणाली रेलवे विद्युतीकरण की दक्षता बढ़ाएगी और स्थायी ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देगी।

उन्होंने बताया कि दोनों पहलें भारतीय रेलवे के ग्रीन रेलवे के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह न केवल बिजली की बचत करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

Point of View

बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। ऐसे प्रयासों से भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

वाराणसी में सोलर पैनल प्रणाली क्या है?
यह एक रिमूवेबल सोलर पैनल प्रणाली है जो रेलवे ट्रैक के बीच स्थापित की गई है।
इस प्रणाली से कितनी बिजली उत्पन्न होती है?
यह प्रणाली प्रतिदिन 70 से 80 यूनिट बिजली उत्पन्न करती है।
क्या यह पहल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है?
हां, यह पहल पर्यावरण संरक्षण में मदद करती है और जगह का सदुपयोग करती है।
भविष्य में इस प्रणाली का विस्तार होगा?
जी हां, भविष्य में इसे 100 मीटर तक विस्तार देने की योजना है।
क्या इस प्रणाली में कोई चुनौतियाँ हैं?
हां, इस प्रणाली से जुड़ी कुछ चुनौतियाँ हैं जिनका अध्ययन किया जा रहा है।