क्या विदेशी मुद्रा कानून उल्लंघन का मामला नागालैंड, असम और तमिलनाडु में गहराता जा रहा है?

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क्या विदेशी मुद्रा कानून उल्लंघन का मामला नागालैंड, असम और तमिलनाडु में गहराता जा रहा है?

सारांश

प्रवर्तन निदेशालय ने नागालैंड, असम और तमिलनाडु में विदेशी मुद्रा कानून उल्लंघन के आरोप में बड़ी कार्रवाई की है। क्या ये कार्रवाई सबूतों की कमी के बावजूद सही है? जानिए इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे के रहस्यों को।

Key Takeaways

  • नागालैंड में विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन का गंभीर मामला।
  • ईडी ने 50 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी रकम की जांच की।
  • महत्वपूर्ण डिजिटल दस्तावेज और साक्ष्य जब्त किए गए।
  • जांच का प्रमुख उद्देश्य विदेशी धनराशि का वास्तविक स्रोत और गंतव्य पहचानना है।
  • इस तरह की जांचें वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।

नई दिल्ली, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (एफईएमए), 1999 के प्रावधानों के उल्लंघन से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में नागालैंड, असम और तमिलनाडु में सात ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई ईडी के दिमापुर सब-जोनल कार्यालय द्वारा की गई।

यह मामला नागालैंड में स्थित मेसर्स इमसोंग ग्लोबल सप्लायर्स कंपनी से संबंधित है, जो कथित तौर पर ट्यूनिशिया और इटली की कंपनियों को मानव बाल के निर्यात में संलिप्त है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कंपनी द्वारा प्राप्त विदेशी धनराशि संदिग्ध पाई गई थी, जिसके बाद एफईएमए की धारा 37 के तहत तलाशी की गई।

जांच के दौरान यह पाया गया कि मेसर्स इमसोंग ग्लोबल सप्लायर्स को इटली और ट्यूनिशिया स्थित कंपनियों से 50 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी रकम प्राप्त हुई है। हालांकि, लंबे समय बीत जाने के बावजूद कंपनी ने बैंक को आवश्यक निर्यात दस्तावेज, जैसे शिपिंग बिल, एक्सपोर्ट इनवॉइस आदि, नहीं दिए।

ईडी के अनुसार, यह फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट के उल्लंघन के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों का भी गंभीर उल्लंघन है। दस्तावेजों को छिपाना और निर्यात संबंधी दायित्वों को पूरा न करना एफईएमए के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध है।

ईडी ने जांच में पाया कि मेसर्स इमसोंग ग्लोबल सप्लायर्स द्वारा प्राप्त विदेशी धनराशि को आगे मेसर्स इनचेम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक समूह कंपनी में स्थानांतरित किया गया। यह लेनदेन मानव बाल की खरीदारी के बहाने किया गया बताया गया है।

चौंकाने वाली बात यह है कि मेसर्स इनचेम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जो कई वर्षों से निष्क्रिय थी, 2015 में दोबारा सक्रिय की गई, और यही वह समय था जब मेसर्स इमसोंग ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी को भारी मात्रा में विदेशी रकम मिलने लगी।

ईडी ने पाया कि इनचेम इंडिया के बैंक खातों में आए पैसे को चेन्नई स्थित मानव बाल व्यापार करने वाली कंपनियों को भेजा गया, जिसके बाद खातों से तुरंत निकासी कर ली गई। जांच एजेंसी ने बताया कि चेन्नई की कंपनियों से मानव बाल की खरीदारी के प्रमाण नहीं मिले। इससे मेसर्स इमसोंग ग्लोबल सप्लायर्स द्वारा किए गए कथित निर्यात की प्रामाणिकता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। ईडी को संदेह है कि इनचेम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दोबारा सक्रिय करने का असली मकसद विदेशी धनराशि को निर्यात के बहाने भारत में लाकर उसे अन्य माध्यमों से बाहर निकालना था।

तलाशी के दौरान ईडी ने कई महत्वपूर्ण डिजिटल उपकरण, दस्तावेज और लेनदेन से जुड़े साक्ष्य जब्त किए हैं। एजेंसी अब इस बात की जांच कर रही है कि विदेश से प्राप्त फंड का वास्तविक स्रोत और अंतिम गंतव्य क्या था। ईडी ने कहा है कि इस मामले की जांच जारी है और आगे और खुलासे की संभावना है।

Point of View

मेरा मानना है कि इस तरह की जांचें हमारी वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति या कंपनी विदेशी धन का दुरुपयोग न करे।
NationPress
06/11/2025

Frequently Asked Questions

यह मामला किससे संबंधित है?
यह मामला नागालैंड स्थित मेसर्स इमसोंग ग्लोबल सप्लायर्स कंपनी से संबंधित है।
ईडी ने कितने स्थानों पर छापेमारी की?
ईडी ने नागालैंड, असम और तमिलनाडु में सात स्थानों पर छापेमारी की।
कंपनी ने कितनी विदेशी रकम प्राप्त की?
कंपनी ने इटली और ट्यूनिशिया से 50 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी रकम प्राप्त की।
क्या ईडी ने कोई सबूत जब्त किए?
हाँ, ईडी ने कई महत्वपूर्ण डिजिटल उपकरण, दस्तावेज और लेनदेन से जुड़े साक्ष्य जब्त किए हैं।
क्या इस मामले में अभी और खुलासे होने की संभावना है?
जी हाँ, ईडी ने कहा है कि इस मामले की जांच जारी है और आगे और खुलासे की संभावना है।