क्या विनोद बंसल ने कांग्रेस पर आतंकवादियों के साथ संबंधों का आरोप लगाया?
सारांश
Key Takeaways
- विनोद बंसल ने कांग्रेस पर आतंकवादियों के साथ गहरे संबंधों का आरोप लगाया।
- कांग्रेस नेताओं की रात भर बेचैनी जब आतंकवादी मारे जाते हैं।
- कांग्रेस का अच्छाई से मोहभंग हो चुका है।
- कांग्रेस अब बुराइयों का अड्डा बन चुकी है।
- अच्छे विचारों के लिए कांग्रेस में कोई जगह नहीं है।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कांग्रेस पर एक कड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इस पार्टी का आतंकवादियों के साथ एक पुराना और गहरा नाता है। दोनों के बीच चोली-दामन का साथ रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि जब भी कोई आतंकवादी मारा जाता है, कांग्रेस का नेतृत्व चैन से नहीं सोता। वे रात भर बेचैन रहते हैं। वहीं, जब कोई आतंकवादी पकड़ा जाता है, तो कांग्रेस के नेता आधी रात के बाद, यहां तक कि सुबह तीन बजे तक, सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक देने लगते हैं।
बंसल ने यह आरोप भी लगाया कि आतंकवाद की चर्चा आते ही कांग्रेस के नेता ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों को सम्मानित शब्दों से पुकारते हैं। ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहा जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस का आतंकवादियों से सीधा संबंध है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब न तो अच्छी बात सुनना चाहती है, न बोलना चाहती है, न समझना चाहती है और न ही अपनाना चाहती है। अच्छे संगठन, अच्छे विचार और नेक लोगों की सलाह से उन्हें चिढ़ होती है।
बंसल ने कहा कि कांग्रेस का अच्छाई से पूरी तरह मोहभंग हो चुका है। पार्टी सीखने के लिए तैयार नहीं है और यह उसके पतन की पराकाष्ठा है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस बुराइयों की जननी बन चुकी है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस अब बुराइयों का अड्डा बन चुकी है, इसलिए उससे सकारात्मक उम्मीद करना बेकार है।"
उन्होंने एक कहावत का जिक्र करते हुए कहा, "विनाश काले विपरीत बुद्धि।" यानी जब किसी के विनाश का समय आता है, तो उसकी सोच भी उलटी हो जाती है। यही हाल कांग्रेस का है। अच्छे विचार, अच्छे संगठन और अच्छे लोग अब उसे भाते नहीं।
बंसल ने यह भी कहा कि अगर कभी कांग्रेस का कोई नेता गलती से कोई सही या अच्छी बात कह देता है, तो पार्टी के अंदर के बाकी नेता उस व्यक्ति से तुरंत किनारा कर लेते हैं और उसे अकेला छोड़ देते हैं। उनके अनुसार, यह कांग्रेस की पुरानी नीति और संस्कृति रही है, जहां अच्छे विचारों के लिए कोई जगह नहीं है।