विश्व जनसंख्या दिवस: क्या परिवार नियोजन के लिए 'कैफेटेरिया अप्रोच' का महत्व है?

सारांश
Key Takeaways
- विश्व जनसंख्या दिवस का महत्व
- महिलाओं के अधिकार और निर्णय लेने की स्वतंत्रता
- स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों का महत्व
- सरकारी योजनाएं और उनका लाभ
- 'कैफेटेरिया अप्रोच' का योगदान
नई दिल्ली, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है और इस वर्ष का विषय है, "युवाओं को इस योग्य बनाना कि वे एक न्यायसंगत और आशापूर्ण विश्व में अपनी इच्छानुसार परिवार का निर्माण कर सकें।" इस अवसर पर, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, डॉ. मीरा पाठक ने बढ़ती जनसंख्या, महिलाओं के अधिकार और सामाजिक जिम्मेदारियों पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किए।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस के साथ विशेष बातचीत में डॉ. पाठक ने बताया कि जब हम जनसंख्या की चर्चा करते हैं, तो यह केवल एक आंकड़ा नहीं होता, बल्कि यह उन वास्तविक लोगों की बात होती है जो इस आंकड़े का हिस्सा हैं। जनसंख्या कोई सामान्य संख्या नहीं है, यह उन लोगों के अधिकारों, जरूरतों और सपनों की कहानी है। आज भारत की जनसंख्या 140 करोड़ से अधिक हो चुकी है, और हर एक मिनट में 54 बच्चे जन्म ले रहे हैं। इस स्थिति में, यह आवश्यक है कि हम केवल जनसंख्या की नहीं, बल्कि इससे जुड़ी स्वास्थ्य, शिक्षा, संसाधनों और अधिकारों की बात करें।
डॉ. मीरा पाठक ने कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस का एक प्रमुख उद्देश्य प्रजनन स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना है। उन्होंने कहा कि यह स्वास्थ्य केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी जुड़ा होता है। महिलाओं को यह स्वाधीनता होनी चाहिए कि वे स्वयं तय करें कि उन्हें कब शादी करनी है, कब और कितने बच्चे करने हैं, और कैसे अपने परिवार की योजना बनानी है।
उन्होंने आगे कहा कि हर महिला को अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार है। अगर उन्हें पूरी जानकारी और सुविधाएं मिलती हैं, तो वे बेहतर तरीके से परिवार नियोजन कर सकती हैं। इससे न केवल उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। इस संदर्भ में, उन्होंने सरकार की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम, राष्ट्रीय जनसंख्या नीति और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं के तहत सरकार कपल्स को निःशुल्क गर्भनिरोधक विधियां और उनसे जुड़ी जानकारी प्रदान करती है।
डॉ. पाठक ने परिवार नियोजन की आधुनिक 'कैफेटेरिया अप्रोच' का उल्लेख किया, जिसमें लोगों को अपनी पसंद के अनुसार गर्भनिरोधक के विकल्प चुनने का अधिकार होना चाहिए। यह तभी संभव है जब उन्हें सटीक, सरल और वैज्ञानिक जानकारी सुलभ रूप से उपलब्ध हो।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि युवा मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार हैं, तभी उन्हें परिवार या गर्भावस्था की योजना बनानी चाहिए। इससे न केवल व्यक्तिगत जीवन सशक्त होता है, बल्कि समाज भी बेहतर और संतुलित रूप लेता है। विश्व जनसंख्या दिवस केवल चेतावनी का दिन नहीं है, बल्कि यह संभावनाओं और समाधानों पर विचार करने का अवसर है। एक ऐसा समाज, जहां लड़का-लड़की में भेदभाव न हो, सभी को समान अवसर मिले, और हर नागरिक को स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच हो, यही एक स्थायी और न्यायसंगत विश्व की ओर सही कदम होगा।