क्या सीबीआई कोर्ट ने व्यापम घोटाले में 12 आरोपियों को सुनाई 5 साल की कारावास की सजा?

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क्या सीबीआई कोर्ट ने व्यापम घोटाले में 12 आरोपियों को सुनाई 5 साल की कारावास की सजा?

सारांश

इंदौर सीबीआई कोर्ट ने व्यापम घोटाले में 12 डमी उम्मीदवारों को 5 साल की कठोर सजा सुनाई है। यह मामला परीक्षा में फर्जीवाड़े से जुड़ा है, जिसमें असली परीक्षार्थियों के स्थान पर इन्होंने परीक्षा दी। जांच में बिचौलियों के नेटवर्क का खुलासा हुआ है।

Key Takeaways

  • व्यापम घोटाले में 12 डमी उम्मीदवार दोषी ठहराए गए।
  • दोषियों को 5 साल की कठोर सजा सुनाई गई।
  • जांच में बिचौलियों के नेटवर्क का खुलासा हुआ।
  • फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके परीक्षा दी गई।
  • यह घोटाला देश में शिक्षा प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करता है।

इंदौर, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश की इंदौर सीबीआई कोर्ट ने शनिवार को पीएमटी-2011 परीक्षा (व्यापम घोटाला) में दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने वाले 12 डमी उम्मीदवारों को दोषी ठहराते हुए उन्हें सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषियों को 5-5 साल के कठोर कारावास और प्रत्येक पर 6,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इन आरोपियों ने असली परीक्षार्थियों के साथ मिलकर उनके स्थान पर अवैध रूप से परीक्षा दी थी। दोषियों में आशीष यादव उर्फ आशीष सिंह, सत्येंद्र वर्मा, धीरेंद्र तिवारी, बृजेश जायसवाल, दुर्गा प्रसाद यादव, राकेश कुर्मी, नरेंद्र चौरसिया, अभिलाष यादव, खूब चंद राजपूत, पवन राजपूत, लखन धनगर और सुंदरलाल धनगर शामिल हैं। अपराध के समय नाबालिग दीपक गौतम के मामले में किशोर न्याय बोर्ड द्वारा किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा चुकी थी।

यह मामला इंदौर के सशक्त उत्कृष्ट विद्यालय के उप प्रधानाध्यापक की शिकायत से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने व्यापम द्वारा आयोजित मध्य प्रदेश पीएमटी-2011 परीक्षा के दौरान फर्जीवाड़े का पता लगाया था।

24 जुलाई 2011 को सत्येंद्र वर्मा को आशीष यादव उर्फ आशीष सिंह बनकर परीक्षा देते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, जिसके बाद इंदौर के तुकोगंट पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। शुरुआत में राज्य पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। बाद में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर, मामले को पुनः पंजीकृत किया गया और सीबीआई द्वारा आगे की जांच की गई।

सीबीआई की जांच में पता चला कि मध्य प्रदेश पीएमटी-2011 परीक्षा में फर्जी उम्मीदवारों को बिचौलियों के एक नेटवर्क के माध्यम से नियुक्त किया गया था। जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि इन आरोपियों ने पहचान बदलकर और दस्तावेजों में हेराफेरी कर परीक्षा केंद्रों में प्रवेश पाया था। फर्जी उम्मीदवारों को इंदौर लाया गया, एक होटल में ठहराया गया, और उन्होंने जाली दस्तावेजों और प्रवेश पत्रों का उपयोग करके परीक्षा दी। दस्तावेजी साक्ष्य, होटल के रिकॉर्ड और जांच के दौरान हुए खुलासों ने उम्मीदवारों, फर्जी उम्मीदवारों और बिचौलियों की मिलीभगत वाली साजिश की पुष्टि की।

न्यायालय ने मुकदमे के बाद आरोपियों को दोषी ठहराया और सजा सुनाई। इस मामले में मिली सफलता व्यापम घोटाले पर की गई व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है, जिसमें फर्जीवाड़े, जालसाजी और आपराधिक साजिश के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर हेराफेरी शामिल है।

Point of View

बल्कि यह एक सिस्टम की विफलता का प्रतीक है। उचित कार्रवाई से हम भविष्य में ऐसे मामलों को रोक सकते हैं।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

व्यापम घोटाला क्या है?
व्यापम घोटाला मध्य प्रदेश में आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जीवाड़े से जुड़ा एक बड़ा मामला है।
सीबीआई कोर्ट ने आरोपियों को कितनी सजा सुनाई?
सीबीआई कोर्ट ने 12 आरोपियों को 5-5 साल के कठोर कारावास और 6,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।
इस मामले में जांच कैसे शुरू हुई?
यह मामला इंदौर के एक उप प्रधानाध्यापक की शिकायत के बाद शुरू हुआ, जिन्होंने परीक्षा में फर्जीवाड़े का पता लगाया।
क्या इस मामले में कोई नाबालिग शामिल था?
हाँ, दीपक गौतम नाम का एक नाबालिग भी इस मामले में शामिल था।
क्या सीबीआई की जांच में कुछ और भी सामने आया?
जी हाँ, जांच में यह पाया गया कि फर्जी उम्मीदवारों को बिचौलियों के नेटवर्क के माध्यम से नियुक्त किया गया था।
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