क्या सरकार जनप्रतिनिधियों के सुझावों को महत्व देती है? : मुख्यमंत्री योगी

सारांश
Key Takeaways
- जनप्रतिनिधियों का क्षेत्रीय अनुभव विकास योजनाओं में सहायक है।
- संवाद व्यवस्था शासन और समाज के बीच विश्वास की कड़ी है।
- प्रस्तावित परियोजनाओं की नियमित समीक्षा आवश्यक है।
- जनहित से जुड़े कार्यों की निरंतरता बनाए रखें।
- पर्यटन सुविधाओं का विकास हर विधानसभा में किया जाएगा।
लखनऊ, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपने सरकारी आवास पर लखनऊ मंडल के जनप्रतिनिधियों के साथ एक संवाद बैठक आयोजित की। इस बैठक में मंडल के जनपदों लखनऊ, हरदोई, रायबरेली, उन्नाव, सीतापुर और लखीमपुर खीरी के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे 42 विधायकों और 5 विधान परिषद सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित प्रमुख नव प्रस्तावित परियोजनाओं, अधोसंरचनात्मक आवश्यकताओं और जन अपेक्षाओं से मुख्यमंत्री को परिचित कराया।
सीएम योगी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का क्षेत्रीय अनुभव और स्थानीय धरातल की गहन समझ शासन को योजनाओं के निर्धारण और प्रभावी क्रियान्वयन में नई दृष्टि प्रदान करती है। यह संवाद व्यवस्था शासन और समाज के बीच विश्वास की एक जीवंत कड़ी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्राप्त 3,397 विकास प्रस्तावों, जिनकी अनुमानित लागत 42,891 करोड़ रुपए है, पर जनप्रतिनिधियों के सुझावों को गंभीरता से लिया जाए और इन परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर चरणबद्ध ढंग से पूर्ण कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने मंडल के सभी जनपदों एवं विधानसभा क्षेत्रों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक विशिष्टताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक जनपद की एक अलग पहचान है, जिसे सशक्त करते हुए विकास की योजनाओं का समायोजन किया जाना आवश्यक है। लखनऊ न केवल नव्य आधुनिकता का केंद्र है, बल्कि अवध की सांस्कृतिक राजधानी, कला, साहित्य तथा संस्कार की जीवंत मिसाल भी है। काशी की तरह ही इसकी आत्मा सनातन और इसकी आत्मीयता वैश्विक है। हरदोई में सत्य और तप की परंपरा गहराई तक रची-बसी है। रायबरेली साहित्य, स्वतंत्रता संग्राम और लोककला की दृष्टि से भी समृद्ध है।
सीएम ने कहा कि उन्नाव जनपद चंद्रशेखर आजाद और स्वतंत्रता संग्राम के अन्य नायकों की कर्मभूमि रहा है। उन्नाव में विकासपरक परियोजनाओं को स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक चेतना के साथ जोड़ते हुए समेकित रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। नैमिषारण्य को केंद्र मानकर सीतापुर जिले की धार्मिक और आध्यात्मिक गरिमा अद्वितीय है। यह वह भूमि है जहां ऋषियों ने वेदों का श्रवण कराया। लखीमपुर खीरी दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के कारण वैश्विक वन्यजीव मानचित्र पर स्थापित है। यहां की जैव विविधता, तराई की कृषि संपन्नता और थारू संस्कृति इसे विशिष्ट बनाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन जनपदों की विशिष्ट पहचान ही इन्हें महत्वपूर्ण बनाती है। इसके दृष्टिगत मंडल के प्रत्येक जनपद एवं विधानसभा क्षेत्रों में चल रही परियोजनाओं की नियमित समीक्षा की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि स्पष्ट कार्ययोजना, समयबद्धता व सतत संवाद एवं नियमित फीडबैक ही परियोजनाओं को समय पर और गुणवत्ता के साथ पूर्ण कराने का आधार है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार जनहित से जुड़े प्रत्येक विषय पर संवेदनशील है। हर जनप्रतिनिधि जनता की आकांक्षाओं का संवाहक होता है। राज्य सरकार इन सुझावों और मांगों को प्राथमिकता के आधार पर लागू करेगी।
सीएम ने लोक निर्माण विभाग को निर्देशित किया कि जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत किए गए सड़क, दीर्घ सेतु, लघु सेतु, आरओबी/आरयूबी, धर्मार्थ की सड़कें, फ्लाईओवर निर्माण से संबंधित प्रस्तावों पर जनप्रतिनिधियों द्वारा दिए गए वरीयताक्रम के आधार पर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। साथ ही जिला मुख्यालय को चार लेन एवं ब्लॉक मुख्यालय को दो लेन से जोड़ने, चीनी मिल की सड़कों, सिंगल कनेक्टिविटी वाली सड़कों का निर्माण और ब्लैक स्पॉट सुधार के कार्य को शत-प्रतिशत पूर्ण कराएं। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों एवं शहीदों के गांवों की सड़कों का निर्माण को प्राथमिकता पर रखें। हर विधानसभा क्षेत्र में जनहित से जुड़े विकास कार्यों की निरंतरता बनी रहनी चाहिए, जिससे पिक एंड चूज की संभावना न्यूनतम रहेगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना के अंतर्गत प्रदेश में 1,000 से ज्यादा धार्मिक स्थलों का सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जा चुका है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक पर्यटन स्थल का चयन कर, उसकी पर्यटन सुविधाओं के विकास की कार्ययोजना तैयार की जाए। मुख्यमंत्री ने नगर विकास विभाग को स्पष्ट कहा कि किसी भी परियोजना का प्रस्ताव तैयार करने से पूर्व संबंधित जनप्रतिनिधि से मार्गदर्शन एवं सहमति अवश्य प्राप्त की जाए, ताकि परियोजना क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप और सर्वहितकारी सिद्ध हो।