क्या योगी सरकार का अभियान हर कार्यस्थल को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- मिशन शक्ति 5.0 का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है।
- कार्यस्थल पर पॉश अधिनियम लागू किया जाएगा।
- महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाया जाएगा।
- समाज की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
लखनऊ, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन हेतु चलाया जा रहा मिशन शक्ति 5.0 अब प्रदेशव्यापी जनआंदोलन में रूपांतरित हो रहा है। इसी दिशा में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा शुक्रवार को प्रदेश के सभी 75 जनपदों में एक साथ 'सुरक्षित कार्यस्थल-सशक्त नारी' अभियान और सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा और यौन उत्पीड़न से संरक्षण से संबंधित कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 (पॉश एक्ट) के प्रावधानों के प्रति जागरूकता फैलाना था। पहले दिन ही विभिन्न आयोजनों में प्रदेश की लगभग 50,000 महिलाओं ने भाग लिया।
इस जागरूकता अभियान में सरकारी और निजी कार्यालयों के अधिकारी, कर्मचारी, महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों, कॉलेज छात्राओं, अधिवक्ताओं, श्रमिक संगठनों और स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महिला सशक्तिकरण मुहिम का यह अभियान कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, 2013 और कामकाजी महिलाओं के वित्तीय-कानूनी अधिकारों पर केंद्रित है, जो नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की दिशा में नया आयाम जोड़ रहा है।
मिशन शक्ति-5.0 का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है। इन आयोजनों में पॉश अधिनियम के प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की गई। यह अधिनियम कार्यस्थल पर शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक आचरण को परिभाषित करता है, जो महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। दस से अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों में आंतरिक शिकायत समिति का गठन अनिवार्य है, जबकि जिला स्तर पर स्थानीय समिति शिकायतों की सुनवाई करती है। शिकायत दर्ज करने की समय-सीमा तीन महीने है, जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है। 90 दिनों के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है। यह अधिनियम महिला की गोपनीयता की रक्षा करता है और दोष सिद्ध होने पर नियोक्ता को अनुशासनात्मक कार्रवाई या जुर्माना का प्रावधान है। नियोक्ता का दायित्व है कि कार्यस्थल सुरक्षित बने, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हों और समिति की सिफारिशों का पालन किया जाए।
कार्यक्रमों में पॉश अधिनियम के अलावा कामकाजी महिलाओं के वित्तीय और कानूनी अधिकारों पर भी चर्चा की गई। मातृत्व अवकाश के लाभ, समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार, कार्यस्थल पर स्वास्थ्य-सुरक्षा प्रावधान, श्रमिक कानूनों के तहत विशेष सुरक्षा, वित्तीय साक्षरता, बैंकिंग और बीमा योजनाओं तक पहुंच जैसे विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए गए। विशेषज्ञों ने कहा कि आर्थिक सशक्तीकरण ही वास्तविक महिला सुरक्षा का आधार है। यह अभियान मिशन शक्ति-5.0 के तहत महिलाओं के प्रति सकारात्मक व्यवहारिक परिवर्तन लाने का प्रयास है, ताकि वे कानूनों, योजनाओं और अवसरों से जुड़कर सशक्त समाज की आधारशिला बन सकें।
यह अभियान मिशन शक्ति-5.0 के तहत नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन को मजबूत करने का प्रयास है। सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत यह आयोजन कार्यस्थलों को महिलाओं के लिए वीमेन फ्रेंडली बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इसके अलावा विभाग ने 22 से 25 सितंबर तक के विभिन्न कार्यक्रमों में 3,85,681 व्यक्तियों को जागरूक किया, जिसमें 1,65,822 पुरुष-बालक और 2,19,857 महिलाएं-बालिकाएं शामिल रहीं। यह पहल योगी सरकार की ‘सशक्त नारी, सुरक्षित कार्यस्थल’ की थीम को साकार कर रही है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने कहा कि मिशन शक्ति 5.0 केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं है, बल्कि यह एक सतत सामाजिक परिवर्तन का अभियान है। पॉश अधिनियम के प्रति जागरूकता इस परिवर्तन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारा लक्ष्य है कि हर कार्यस्थल महिलाओं के लिए न केवल सुरक्षित हो, बल्कि ऐसा वातावरण बने जहां वे सम्मान और आत्मविश्वास के साथ कार्य कर सकें। हर महिला और बच्चा तभी सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनेगा, जब समाज स्वयं जिम्मेदारी लेकर आगे आए।
प्रमुख सचिव ने बताया कि विभाग ने यह भी सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है कि आगामी महीनों में प्रत्येक जिले में नियमित अंतराल पर पॉश से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। नियोक्ताओं और संगठनों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति उत्तरदायी बनाया जाएगा। महिलाओं की कानूनी साक्षरता और वित्तीय जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। समाज के प्रत्येक वर्ग की सक्रिय भागीदारी से 'सशक्त नारी, सुरक्षित कार्यस्थल' का सपना साकार किया जाएगा।