क्या यूपी के हर गांव का बच्चा 'शुभांशु शुक्ला' बनेगा? योगी सरकार अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की पौध तैयार कर रही है

सारांश
Key Takeaways
- योगी सरकार का प्रयास बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान में प्रशिक्षित करना है।
- एस्ट्रो लैब्स में आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।
- बच्चों को अनुभव आधारित शिक्षा देने पर जोर दिया जाएगा।
- यह पहल बच्चों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देगी।
- हर गांव का बच्चा अपने सपनों को साकार करने में सक्षम होगा।
लखनऊ, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। योगी सरकार ने प्रदेश के हर ब्लॉक के बच्चों को अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। योगी सरकार अब प्रदेश में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की पौध तैयार करने के लिए ब्लॉक स्तर पर सरकारी स्कूलों में एस्ट्रो लैब्स की स्थापना कर रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर वर्तमान में प्रदेश के कई जिलों के ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में पीपीपी मॉडल पर एस्ट्रो लैब बनकर तैयार हो चुकी हैं, जहां बच्चे केवल किताबों से ही नहीं, बल्कि टेलीस्कोप समेत अन्य उपकरणों के जरिए अंतरिक्ष के रहस्यों से रूबरू हो रहे हैं। ऐसे में वह दिन दूर नहीं, जब प्रदेश का हर बच्चा शुभांशु शुक्ला की तरह अंतरिक्ष की उड़ान भर सकेगा और अपने सपनों को पंख दे सकेगा।
सीएम योगी प्रदेश के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और तकनीक-समर्थ शिक्षा प्रदान करने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। एस्ट्रो लैब्स उनके इसी विजन को साकार कर रही हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र अंतरिक्ष, प्रकाश, गुरुत्वाकर्षण जैसे जटिल सिद्धांतों को समझ पा रहे हैं। योगी सरकार ने इन एस्ट्रो लैब्स का नाम 'अमृत काल लर्निंग सेंटर्स' रखा है।
सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश के कई ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में एस्ट्रो लैब्स तैयार हैं। यहां बच्चों को डॉबसोनियन टेलीस्कोप, पीआर हेडसेट, माइक्रोस्कोप और मानव शरीर रचना मॉडल जैसे अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए ज्ञान बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही शिक्षकों के लिए ओरिएंटेशन प्रोग्राम, वीडियो गाइड और मेंटॉरशिप की व्यवस्था की गई है ताकि बच्चों को आधुनिक विज्ञान से जोड़ा जा सके।
बलिया के जिलाधिकारी मंगला प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप बलिया के सभी 17 ब्लॉकों में विज्ञान और खगोलशास्त्र प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दे रही हैं। ये लैब्स बच्चों को अनुभव आधारित और जिज्ञासा-आधारित शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
बलिया के सीडीओ ओजस्वी राज ने बताया कि एस्ट्रो लैब्स को स्थापित करने में 2.5 से 3 लाख रुपए का खर्च आता है, जिसमें उपकरण और शिक्षकों का प्रशिक्षण शामिल है। इन सभी लैब्स को पीपीपी मॉडल पर स्थापित किया गया है। एस्ट्रो लैब्स के माध्यम से बच्चों में जिज्ञासा और वैचारिक स्पष्टता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। अब वे सवाल पूछने लगे हैं, आकाश को टकटकी लगाकर देखने लगे हैं और ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए लालायित हैं। प्रदेश के गांव के बच्चे भी अब नासा और इसरो में जाने के अपने सपनों को पंख दे रहे हैं।