क्या भारत-ब्रिटेन एफटीए से भारतीय व्यवसायों के लिए नए बाजार खुलेंगे? : पीएचडीसीसीआई अध्यक्ष हेमंत जैन

सारांश
Key Takeaways
- भारत-ब्रिटेन एफटीए से नए बाजारों का निर्माण होगा।
- द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होगी।
- भारतीय एसएमई को प्रतिस्पर्धा का लाभ मिलेगा।
- विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में नए अवसर पैदा होंगे।
- भारत में भारी निवेश आएगा।
नई दिल्ली, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रमुख उद्योग चैंबर पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने गुरुवार को जानकारी दी कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) देश के विभिन्न उद्योगों पर गहरा प्रभाव डालेगा और व्यवसायों के लिए नए बाजार सृजित करेगा।
हेमंत जैन ने राष्ट्र प्रेस से चर्चा करते हुए कहा कि यह व्यापार समझौता यूरोपीय संघ और अमेरिका के मुक्त व्यापार समझौतों के अनुरूप भी होगा।
उन्होंने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों को बढ़ावा देगा। यह सबसे व्यापक समझौता है जो आईटी सेवाएं, वित्तीय सेवाएं, हस्तशिल्प, रत्न एवं आभूषण जैसे क्षेत्रों को सहायता प्रदान करेगा।"
हेमंत जैन ने आगे बताया कि, "एक बार मुक्त व्यापार समझौता हो जाने पर, दोनों देशों के बीच सहजता का स्तर बहुत बढ़ जाएगा। आप बाजार तक बेहतर पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। इस समझौते के बाद भारत में भारी निवेश आएगा।"
उन्होंने कहा कि उद्योग चैंबर अब इस मुक्त व्यापार समझौते की बारीकियों पर गौर करेगा और देखेगा कि इससे कंपनियों और व्यवसायों को कैसे लाभ हो सकता है।
हेमंत जैन ने कहा कि ब्रिटेन विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत को एक बड़े बाजार तक पहुंच प्राप्त होगी।
उन्होंने कहा, "हम दोनों सरकारों की इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए सराहना करते हैं, जो द्विपक्षीय व्यापार को गति देगा, भारतीय एसएमई की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा और विनिर्माण, सेवा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उद्योगों के लिए नए द्वार खोलेगा।"
उन्होंने कहा, "यह समझौता रणनीतिक गहराई का प्रमाण है, जिसके फलस्वरूप 2030 तक ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होकर 120 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा। मुक्त व्यापार समझौता द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देगा और दोनों देशों में रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगा। इसके अलावा, दो जीवंत लोकतंत्रों और प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच ये समझौते वैश्विक स्थिरता और संयुक्त समृद्धि को मजबूत करेंगे।"
इस समझौते के तहत भारतीय वस्त्र, जूते, रत्न एवं आभूषण, समुद्री खाद्य और इंजीनियरिंग वस्तुओं के लिए यूके में बेहतर बाजार पहुंच का मार्ग प्रशस्त होगा। यह भारत के कृषि उत्पादों और प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग के लिए नए अवसर भी खोलेगा।