क्या भारत का जीसीसी वर्कफोर्स 2030 तक 3.46 मिलियन तक पहुँचने वाला है?
सारांश
Key Takeaways
- 58% जीसीसी एआई पायलेट से आगे बढ़ रहे हैं।
- 2030 तक वर्कफोर्स 3.46 मिलियन होने का अनुमान।
- लगभग 1.3 मिलियन नए जॉब रोल का सृजन।
- बढ़ती एआई तकनीक का प्रभाव।
- प्रदेशों में भौगोलिक बदलाव देखने को मिल रहा है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। 58 प्रतिशत से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) अब एआई पायलेट से आगे बढ़कर कार्य कर रहे हैं, और भारत में इस क्षेत्र में वर्कफोर्स का अनुमान 2030 तक 3.46 मिलियन तक पहुँचने का है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे लगभग 1.3 मिलियन नए नौकरी के अवसर उत्पन्न होंगे।
टेक्नोलॉजी और डिजिटल टैलेंट सॉल्यूशन प्रदाता एनएलबी सर्विसेज के अनुसार, 2025 तक लगभग 70 प्रतिशत जीसीसी पहले से ही जेनेरेटिव एआई (जेनएआई) में निवेश कर रहे हैं, जबकि 60 प्रतिशत जीसीसी 2026 तक एक समर्पित एआई सुरक्षा और गवर्नेंस टीम स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गवर्नेंस तेजी से जीसीसी में संस्थागत हो रहा है।
इसका एक महत्वपूर्ण प्रभाव 2026 में नौकरियों पर दिखाई देगा, जहाँ अवसरों में 11 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिलेगी और इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों की संख्या 24 लाख हो जाएगी।
एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलुग ने कहा, "भारत अपनी जीसीसी 4.0 यात्रा के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ देश स्केल, स्किल और टैलेंट का एक अनूठा तालमेल विकसित कर रहा है। वर्तमान समय में जीसीसी न केवल एआई का अन्वेषण कर रहे हैं, बल्कि कई लोग इसे लागू भी कर चुके हैं और कई इसे लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।"
33 प्रतिशत जीसीसी ने केंद्रीय एआई समिति और सीओई का गठन कर लिया है। वहीं, 29 प्रतिशत जीसीसी ऑडिट और कंप्लायंस फ्रेमवर्क के तहत व्यवसाय इकाई के माध्यम से निगरानी प्रबंधन कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, कम अट्रिशन दर, ऑफिस लागत और टैलेंट लागत के लाभों के कारण टियर-II और III को टियर-1 मेट्रो शहरों की तुलना में अधिक प्राथमिकता दी जा रही है, जो कि भारत के जीसीसी मानचित्र में एक बड़े भौगोलिक बदलाव को दर्शाता है।
मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, टैलेंट पाइपलाइन और एआई पर केंद्रित पहलों के कारण प्रगतिशील राज्य नीतियाँ भारत में जीसीसी के विस्तार को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीसीसी पायलेट से फुल-स्केल एआई-ड्रिवन संचालन की ओर बढ़ रहे हैं, जिसके साथ अगले पांच वर्षों में भारत एआई इंजीनियरिंग, एनालिटिक्स और गवर्नेंस उत्कृष्टता के वैश्विक केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करता दिखाई देगा।