क्या मक्के का उत्पादन 2047 तक दोगुना कर 86 मिलियन टन से अधिक करना भारत का लक्ष्य है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत का लक्ष्य: मक्के का उत्पादन 2047 तक 86 मिलियन टन तक पहुँचाना।
- आर्थिक सुधार: किसानों की आमदनी में वृद्धि।
- विकसित कृषि संकल्प अभियान: वैज्ञानिकों को किसानों से जोड़ना।
- उच्चतम उत्पादन: पश्चिम बंगाल और बिहार में राष्ट्रीय औसत से अधिक मक्का उत्पादन।
- खाद्य सुरक्षा: देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
नई दिल्ली, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि कृषि आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान अर्थव्यवस्था की आत्मा हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी नीति का उद्देश्य देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना, किसानों की आमदनी को बढ़ाना और खेती को लाभकारी बनाना है।
फिक्की द्वारा आयोजित 11वें मक्का सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "90 के दशक में मक्के का उत्पादन 10 मिलियन टन था, जो अब बढ़कर लगभग 42.3 मिलियन टन तक पहुंच चुका है। विकसित भारत के संकल्प के साथ, हम 2047 तक मक्के का उत्पादन 86.10 मिलियन टन तक पहुंचाने का लक्ष्य रख रहे हैं।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में औसत मक्का उत्पादन 3.7 टन प्रति हेक्टेयर है। अच्छी बात यह है कि पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में मक्का उत्पादन राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जिसे और बढ़ाने की आवश्यकता है।
मक्के के उत्पादन में नए रिकॉर्ड स्थापित करने वाले किसानों को सम्मानित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं इन किसानों को बधाई देता हूं।
उन्होंने कहा कि किसानों को वैज्ञानिकों से जोड़ने के लिए हमने 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के माध्यम से वैज्ञानिकों को किसानों के बीच भेजने और लैब को भूमि से जोड़ने का काम किया।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस अभियान के तहत करीब 11 हजार वैज्ञानिक 60 हजार से अधिक गांवों में पहुंचे। हमने देखा कि उत्पादन खेत में बढ़ रहा है और वैज्ञानिक लैब में काम कर रहे हैं। किसान अलग काम कर रहा था, वैज्ञानिक अलग काम कर रहा था। हमने तय किया कि लैब और भूमि की दूरी को खत्म कर इन्हें जोड़ने का काम किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा, "मक्का तीसरी सबसे बड़ी फसल बन गई है, हालांकि उत्पादन के मामले में भारत को लगातार आगे आने के प्रयास करने होंगे। स्टार्च कम होने के कारण कई तरह के रिसर्च की आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा कि सकारात्मक प्रयासों के साथ देश में मक्के का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।