क्या चंडीगढ़ ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर में भारतीय शहरों में सबसे आगे है?
सारांश
Key Takeaways
- चंडीगढ़ ने ईवी में 1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
- चार्जर की उपलब्धता में सुधार हो रहा है।
- दिल्ली चार्जर डेन्सिटी में सबसे आगे है।
- सरकार की नीतियों का ईवी अपनाने पर सकारात्मक प्रभाव है।
- भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। फ्लीट शेयर में 1 प्रतिशत की वृद्धि और चार पहिया ईवी तथा चार्जर इंस्टॉलेशन के लिए लगातार नीतिगत समर्थन के साथ, चंडीगढ़ भारतीय शहरों में ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में सबसे आगे बना हुआ है। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में बताई गई।
मैपिंग और लोकेशन डेटा कंपनी हीर टेक्नोलॉजी और ग्लोबल ऑटोमोटिव रिसर्च फर्म एसबीडी ऑटोमोटिव ने मिलकर एक ईवी इंडेक्स जारी किया है, जिसमें कर्नाटक ने चार्जर की उपलब्धता में कमी के बावजूद अपने चार्जर-पर-बीईवी स्कोर के आधार पर चौथे से दूसरे स्थान पर आ गया है।
इसी प्रकार, गोवा देश में बीईवी फ्लीट शेयर में आगे बढ़ते हुए तीसरे स्थान पर आ गया है। जबकि दिल्ली चार्जर डेन्सिटी में बढ़त के साथ सबसे आगे बनी हुई है, जहां रोड पर हर 9 किलोमीटर के दायरे में एक पब्लिक चार्जर होने का अनुमान है।
भारत में 2024-2025 के दौरान 6800 नए पब्लिक चार्जर पॉइंट्स जोड़े जाएंगे, लेकिन एवरेज चार्जर पावर 33 किलोवाट पर स्थिर बनी हुई है। इसी तरह, बीईवी-टू-चार्जर रेशियो 2024 के 12 अनुपात 1 से बढ़कर 2025 में 20 रेशियो 1 पर आ गया है, जो दर्शाता है कि पब्लिक चार्जिंग की स्थापना की तुलना में बीईवी अडॉप्शन की गति तेज बनी हुई है।
सर्वे में शामिल 49 प्रतिशत भारतीय उत्तरदाताओं का अनुमान है कि 2030 में बेचे जाने वाले कुल वाहनों में आधे से अधिक हिस्सा इलेक्ट्रिक का होगा। जबकि 73 प्रतिशत ईवी ऑनर्स ने एक असफल चार्जिंग प्रयास का अनुभव किया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में ईवी ऑनर्स की औसत आयु 35 वर्ष है। जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ में ईवी ऑनर्स की औसत आयु 46 वर्ष है।
47 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि ईवी अपनाने में सबसे बड़ी बाधा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता की धारणा है।
ईवी अपनाने को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएँ चलाई जाती हैं। जैसे पीएम-ड्राइव जो टू, थ्री-व्हीलर और कमर्शियल ईवी पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके अलावा, फोर-व्हीलर को बिक्री कर कटौती से सहायता मिलती है और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को पीएलआई से समर्थन प्राप्त होता है।