क्या जीएसटी सुधारों से एंट्री-लेवल कारों की सुस्त बिक्री को बढ़ावा मिलेगा और कर अनुपालन में सुधार होगा?

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क्या जीएसटी सुधारों से एंट्री-लेवल कारों की सुस्त बिक्री को बढ़ावा मिलेगा और कर अनुपालन में सुधार होगा?

सारांश

हाल की रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में जीएसटी सुधार एंट्री-लेवल वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के साथ-साथ कर अनुपालन को आसान बनाएंगे। जानिए इस बदलाव के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • जीएसटी की दरें घटने से एंट्री-लेवल कारों की बिक्री में वृद्धि हो सकती है।
  • यह कार अनुपालन को सरल बनाएगा।
  • बड़े वाहनों पर कर बढ़ेगा, लेकिन उपकर हटने से कर भार कम होगा।
  • जीएसटी सुधार आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगे।
  • ग्राहकों को शुरुआती लागत में राहत मिलेगी।

नई दिल्ली, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) । एक नई रिपोर्ट के अनुसार, ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल पार्ट्स में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार, एंट्री-लेवल मोबिलिटी सेगमेंट में मांग को सीधे तौर पर बढ़ावा देंगे, जहाँ बिक्री सुस्त रही है। साथ ही, ये सुधार कर अनुपालन को आसान बनाने में भी मददगार साबित होंगे।

ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट में कहा गया है, "ऑटो पार्ट्स पर एक समान 18 प्रतिशत की दर अनुपालन की जटिलता को कम करती है और जीवन चक्र रखरखाव लागत को घटाती है, जिससे उपभोक्ताओं और विक्रेताओं दोनों को लाभ होता है।"

सरकार ने 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी, भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए जीएसटी का पुनर्गठन किया है। एंट्री-लेवल वाहनों और पार्ट्स पर अब 28 प्रतिशत की बजाय 18 प्रतिशत की कम दर से कर लगेगा।

बड़ी कारों और लग्जरी मॉडल्स पर 28 प्रतिशत की बजाय 40 प्रतिशत कर लगेगा, लेकिन उन पर उपकर पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे प्रभावी कर भार कम हो गया है।

छोटी कारों (1200 सीसी तक पेट्रोल, 1500 सीसी तक डीजल, 4 मीटर से अधिक लंबाई नहीं), छोटे हाइब्रिड, 350 सीसी तक के दोपहिया वाहन, तिपहिया वाहन और मालवाहक वाहनों को 18 प्रतिशत के स्लैब में समाहित कर, जीएसटी परिषद ने प्रभावी कर भार को लगभग 29-31 प्रतिशत (उपकर सहित) से घटाकर एक समान 18 प्रतिशत कर दिया है।

यह कमी एम्बुलेंस, मालवाहक वाहनों, बसों और छोटे इंजन आकार वाली फैक्ट्री-फिटेड हाइब्रिड कारों पर भी लागू होगी।

ऑटो पार्ट्स, चेसिस, एक्सेसरीज और टायर वर्तमान 28 प्रतिशत की दर से 18 प्रतिशत पर आ जाएंगे, जिससे अनुपालन सरल होगा और जीवन चक्र लागत कम होगी।

मोटर वाहनों में इस्तेमाल होने वाली सीटें, स्पार्क-इग्निशन भी 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत के स्लैब में शिफ्ट हो गई हैं। ट्रैक्टर, ट्रेलर और 4 मीटर से अधिक लंबाई नहीं वाले ईंधन-सेल हाइड्रोजन वाहन 12 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब से 5 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब में शिफ्ट हो गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नई संरचना यह सुनिश्चित करती है कि मूल्य-संवेदनशील खरीदारों को शुरुआती लागत में कमी के माध्यम से ठोस राहत मिले, जबकि बेड़े संचालक और लॉजिस्टिक्स प्रदाता स्वीकार्य आईटीसी और तेज रिफंड के माध्यम से लाभ उठा सकें, जिससे तरलता और रिप्लेसमेंट साइकल मजबूत हो सकें।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सुधार एक अधिक कुशल, किफायती और व्यापार-अनुकूल जीएसटी प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करते हैं, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है और व्यापार करने में आसानी बढ़ती है।

Point of View

हम यह मानते हैं कि जीएसटी सुधार न केवल ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए, बल्कि समग्र आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। ये सुधार व्यापार करने में आसानी को बढ़ाते हैं और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करते हैं।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

जीएसटी सुधारों का ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
जीएसटी सुधारों से ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मांग बढ़ने की उम्मीद है, विशेषकर एंट्री-लेवल वाहनों में।
क्या जीएसटी सुधारों से कर अनुपालन में सुधार होगा?
हां, जीएसटी सुधार अनुपालन को सरल बनाएंगे, जिससे व्यवसायों के लिए कर भरना आसान होगा।
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