क्या भारत में हर पांच में से एक जीएसटी करदाता अब महिला है? : एसबीआई रिसर्च

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं की हिस्सेदारी हर पांच में से एक जीएसटी करदाता में है।
- जीएसटी कलेक्शन में वृद्धि हो रही है।
- 14 प्रतिशत पंजीकृत करदाता हैं सभी महिलाएं।
- महिलाओं का सशक्तिकरण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण है।
- कई राज्यों में जीएसटी की संभावनाएं अभी भी अपार हैं।
नई दिल्ली, २२ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत में १.५२ करोड़ से अधिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण सक्रिय हैं और पंजीकृत जीएसटी करदाताओं में से हर पांचवे हिस्से में अब कम से कम एक महिला मौजूद है। इसके अलावा, १४ प्रतिशत पंजीकृत करदाताओं में सभी महिला सदस्य हैं। यह जानकारी एसबीआई द्वारा मंगलवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में बताई गई।
एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) और निजी लिमिटेड कंपनियों में यह प्रतिनिधित्व काफी अधिक है। इस प्रकार की कॉर्पोरेट में बढ़ती औपचारिकता भविष्य में समान प्रतिनिधित्व के लिए सकारात्मक संकेत है।
एसबीआई की समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्या कांति घोष ने कहा, "यह आंकड़ा दर्शाता है कि कुल आयकरदाताओं में महिलाओं की हिस्सेदारी १५ प्रतिशत और कुल जमा में ४० प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ, महिला सशक्तिकरण को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।"
डॉ. घोष ने यह भी कहा कि केवल पांच वर्षों (वित्त वर्ष २१-२५) में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन दोगुना हो गया है। औसत मासिक सकल जीएसटी कलेक्शन अब २ लाख करोड़ रुपए है। शीर्ष पांच राज्यों का कुल जीएसटी कलेक्शन में ४१ प्रतिशत का योगदान है और छह राज्यों ने १ लाख करोड़ रुपए के वार्षिक जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े को पार कर लिया है।
जिन राज्यों का जीएसटी कलेक्शन १ लाख करोड़ रुपए से अधिक है, उनके कुल घरेलू कलेक्शन में एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) की हिस्सेदारी ३० प्रतिशत से अधिक है।
इस साल १ जुलाई को जीएसटी लागू हुए आठ साल पूरे हो गए। आर्थिक एकीकरण की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में २०१७ में लागू किए गए जीएसटी ने अप्रत्यक्ष करों की एक जटिल प्रणाली को एक एकीकृत प्रणाली में बदल दिया।
एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया कि इसने कर अनुपालन को आसान बनाया है, व्यवसायों की लागत कम की है और राज्यों के बीच वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही को सुनिश्चित किया है। पारदर्शिता और दक्षता में सुधार करके, जीएसटी ने एक मजबूत और अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में मदद की है।
रिपोर्ट में बताया गया कि तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे कुछ बड़े और समृद्ध राज्यों में सक्रिय जीएसटी करदाताओं की हिस्सेदारी, कुल जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) में राज्य की हिस्सेदारी की तुलना में कम है।
वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में कुल जीएसटी करदाताओं की हिस्सेदारी, कुल जीएसडीपी में राज्य की हिस्सेदारी से ज्यादा है। यह दर्शाता है कि इन राज्यों में जीएसटी में अभी भी अपार संभावनाएं हैं।