क्या इस हफ्ते एफआईआई की बिकवाली पर डीआईआई की खरीदारी भारी पड़ी?

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क्या इस हफ्ते एफआईआई की बिकवाली पर डीआईआई की खरीदारी भारी पड़ी?

सारांश

इस हफ्ते, भारतीय मुद्रा में गिरावट ने विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली को बढ़ावा दिया, जिससे घरेलू संस्थागत निवेशकों की मजबूत खरीदारी ने बाजार की स्थिति बदल दी। जानिए इस घटना के पीछे के कारण और बाजार पर इसके प्रभाव को।

Key Takeaways

  • एफआईआई की लगातार बिकवाली और डीआईआई की मजबूत खरीदारी की तुलना।
  • भारतीय मुद्रा में गिरावट का प्रभाव।
  • आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद का बाजार माहौल।
  • आर्थिक विकास के लिए मौद्रिक प्रोत्साहन की आवश्यकता।
  • आने वाले हफ्तों में एफआईआई की बिकवाली की संभावना।

मुंबई, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विशेषज्ञों का कहना है कि इस हफ्ते भारतीय मुद्रा में गिरावट के चलते विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का निरंतर फंड आउटफ्लो घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की जबरदस्त खरीदारी के मुकाबले कमज़ोर पड़ गया।

इस महीने के पहले हफ्ते में एफआईआई ने निरंतर बिक्री की और कैश मार्केट में 10,401 करोड़ रुपए के भारतीय शेयरों की बिक्री की।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि डीआईआई द्वारा की गई मजबूत खरीदारी के चलते एफआईआई की बिक्री का आंकड़ा पीछे रह गया। डीआईआई ने इस दौरान 19,783 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी।

विशेषज्ञों का मानना है कि एफआईआई की बिकवाली और डीआईआई की खरीदारी के पीछे के फंडामेंटल कारक भिन्न हैं। रुपए में इस वर्ष डॉलर के मुकाबले 5 पैसे की तेजी से गिरावट के कारण एफआईआई अपनी बिकवाली को बढ़ा रहे हैं। वहीं, डीआईआई को निरंतर निधि प्रवाह से समर्थन मिल रहा है, और वे मजबूत जीडीपी के आंकड़ों और भविष्य में कॉर्पोरेट आय में वृद्धि की उम्मीदों से उत्साहित हैं।

इस बीच, केंद्रीय बैंक आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती और प्रस्तावित भारी नकदी प्रवाह से बुल्स के पक्ष में माहौल में सुधार हुआ है।

विशेषज्ञों का कहना है, "अर्थव्यवस्था पहले से ही मजबूत स्थिति में है और ऐसे समय में अर्थव्यवस्था को और अधिक मौद्रिक प्रोत्साहन देना केंद्रीय बैंक के साहसी विकास समर्थक होने का प्रतीक है।"

उन्होंने आगे कहा कि विकास समर्थक राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों, विकास की गति में तेजी और आय वृद्धि के संकेतों के साथ डीआईआई अपनी खरीदारी जारी रखेंगे।

हालांकि, मजबूत घरेलू परिस्थितियों के बावजूद, आने वाले सप्ताह में एफआईआई द्वारा पूंजी निकासी जारी रहने की संभावना बनी हुई है।

विजयकुमार ने कहा, "ट्रेंड्स से संकेत मिलता है कि एफआईआई उच्च स्तर पर बिकवाली करेंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि वैल्यूएशन ऊंचे स्तर पर है और वे बिकवाली के जरिए सस्ते बाजारों में निवेश कर सकते हैं।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारतीय बाजार में विदेशी और घरेलू निवेशकों के बीच का यह संघर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और विकास की संभावनाओं को दर्शाता है। हमें इस स्थिति पर ध्यान देना चाहिए और इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए।
NationPress
06/12/2025

Frequently Asked Questions

एफआईआई और डीआईआई में क्या अंतर है?
एफआईआई विदेशी संस्थागत निवेशक होते हैं, जबकि डीआईआई घरेलू संस्थागत निवेशक होते हैं।
भारतीय मुद्रा में गिरावट का क्या असर होता है?
भारतीय मुद्रा में गिरावट से विदेशी निवेशकों का बाजार में विश्वास कम हो सकता है और वे बिकवाली कर सकते हैं।
क्या डीआईआई की खरीदारी से बाजार में सुधार होगा?
हां, डीआईआई की मजबूत खरीदारी से बाजार में स्थिरता आ सकती है।
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