क्या भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों की संख्या 2030 तक 2,200 से अधिक हो जाएगी?

सारांश
Key Takeaways
- भारत में जीसीसी की संख्या 2030 तक 2,200 से अधिक हो सकती है।
- रियल एस्टेट में 25-30% की वृद्धि का अनुमान है।
- बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और पुणे में ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ रही है।
- कमर्शियल रियल एस्टेट में निवेश के लिए अवसर हैं।
- फंड रेजिंग की गतिविधियां बढ़ रही हैं।
नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस) । भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) की संख्या 2030 तक 1,700 से बढ़कर 2,200 से अधिक होने की उम्मीद जताई गई है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है।
घरेलू निवेश बैंक एसबीआई कैपिटल मार्केट्स (एसबीआईसीएपीएस) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों और निवेश योग्य परिसंपत्तियों की लगातार उपलब्धता के कारण आने वाले वर्षों में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट एसेट अंडर मैनेजमेंट (आरईआईटी एयूएम) में 25-30 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की निवेश बैंकिंग शाखा की रिपोर्ट के अनुसार, ऑफिस स्पेस के लिए लीजिंग में वर्ष 2024 में पिछले रिकॉर्ड को 20 प्रतिशत तक तोड़ने की उम्मीद है, जबकि किराए में वृद्धि और रिक्तियों में कमी देखी जा रही है। वर्ष 2025 में भी खासतौर पर बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और पुणे में गतिविधियों में मजबूती बनी रहेगी।
जीसीसी मुख्य मांग स्रोत बने हुए हैं, जहां बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत को अपनी मुख्य गतिविधियों के लिए उपयोग कर रही हैं।
रिपोर्ट में अगले कुछ वर्षों में इन सुविधाओं के लिए 1.3 गुना वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
फ्लेक्स स्पेस में वर्ष 2025 की पहली छमाही में लीजिंग में सालाना आधार पर 43 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो छह महीने की अवधि में अब तक की सबसे अधिक लीजिंग है।
रिपोर्ट के अनुसार, "रेरा और आईबीसी के साथ इस क्षेत्र का औपचारिकीकरण अब चरम पर है। इन कारकों ने फंड रेजिंग की चाहत को बढ़ा दिया है। प्रमोटरों ने इक्विटी जुटाने के लिए वित्त वर्ष 2025 में क्यूआईपी मार्ग का आक्रामक रूप से उपयोग किया है।"
अल्टरनेट इंवेस्टमेंट फंड (एआईएफ) भूमि खरीद और निर्माण वित्त के उच्च-जोखिम वाले प्रारंभिक चरण में तेजी से शामिल हो रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2025 में रियल एस्टेट उनका सबसे बड़ा निवेश क्षेत्र होगा, जो अगले क्षेत्र से लगभग दोगुना है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि संस्थागत पूंजी और क्षेत्रीय नकदी प्रवाह के पक्ष में कई नियामकीय कार्रवाइयों के स्थिर होने के साथ, फंड रेजिंग (आईपीओ, एआईएफ, सॉवरेन वेल्थ फंड आदि) का चलन जारी रहेगा।
एसबीआईकैप्स ने बताया कि कमर्शियल रियल एस्टेट, विशेष रूप से ऑफिस, एक उच्च-विकासशील क्षेत्र है, जहाँ प्रत्येक निवेशक के जोखिम-लाभ मैट्रिक्स के लिए अवसर मौजूद हैं। नियामकीय इकोसिस्टम निवेशक आधार को व्यापक बनाने के लिए अनुकूल है और भविष्य में आरईआईटी एयूएम के विस्तार के साथ खुदरा भागीदारी बढ़ेगी।