क्या भारत में पेट्रोकेमिकल्स की मांग आगे भी मजबूत रहेगी?

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क्या भारत में पेट्रोकेमिकल्स की मांग आगे भी मजबूत रहेगी?

सारांश

भारत में पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बढ़ती मांग और आयात पर निर्भरता कम करने की योजना के साथ, यह रिपोर्ट बताती है कि अगले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास की संभावनाएं हैं। जानें कैसे भारतीय कंपनियां उत्पादन में वृद्धि कर रही हैं और लागत को कम करने के उपाय कर रही हैं।

Key Takeaways

  • भारत में पेट्रोकेमिकल्स की मांग 6 से 7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
  • आयात पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य है।
  • पॉलीप्रोपाइलीन की उत्पादन क्षमता 1.8 गुना बढ़ सकती है।
  • कंपनियों को लागत कम करने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक मांग और आपूर्ति का संतुलन जरूरी है।

नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खपत अगले कुछ वर्षों में हर साल 6 से 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। यह वृद्धि देश की आर्थिक विकास और पेट्रोकेमिकल से निर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण होगी। यह जानकारी सोमवार को केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में साझा की गई।

इस संदर्भ में, आयात पर निर्भरता को कम करना भारत का एक प्रमुख लक्ष्य बन गया है। इसलिए, सरकारी और निजी दोनों कंपनियां अपनी पेट्रोकेमिकल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की योजना बना रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 से 2030 के बीच पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) की उत्पादन क्षमता 1.8 गुना बढ़ने की उम्मीद है, जबकि इसकी मांग 1.4 गुना बढ़ेगी। इससे 2030 तक आयात पर निर्भरता काफी हद तक कम हो सकती है।

केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर रबिन बिहानी ने कहा कि घरेलू कंपनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात लागत को कम करना है, ताकि उन्हें अपने निवेश पर अच्छा मुनाफा मिल सके।

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में अधिक उत्पादन होने के कारण फिलहाल पेट्रोकेमिकल उत्पादों की कीमतें कमजोर बनी रह सकती हैं। हालांकि, वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में इसमें थोड़ी सुधार देखने को मिली है, जिससे कंपनियों के मुनाफे में लगभग 2 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

केयरएज रेटिंग्स के डायरेक्टर हार्दिक शाह ने कहा कि लंबे समय तक अच्छा मुनाफा तभी संभव है जब लागत कम हो, वैश्विक मांग और आपूर्ति संतुलित हो और जब आवश्यक हो तो सरकार का सहयोग मिले। खासकर चीन द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादन किए जाने से भारतीय कंपनियों को लंबे समय से नुकसान उठाना पड़ा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में पॉलीमर जैसे पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी), हाई डेंसिटी पॉलीएथिलीन (एचडीपीई), लो डेंसिटी पॉलीएथिलीन (एलडीपीई), लीनियर लो डेंसिटी पॉलीइथिलीन (एलएलडीपीई), पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी), एरोमैटिक्स और इलास्टोमर जैसे पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खपत तेजी से बढ़ी है और यह आगे भी बढ़ने की संभावना है।

इस अवधि के दौरान देश में उत्पादन क्षमता में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई, जिसके कारण घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात पर अधिक निर्भर रहना पड़ा।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में दुनियाभर में पेट्रोकेमिकल उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है, खासकर चीन में। लेकिन, मांग उस गति से नहीं बढ़ी, जिससे मांग और आपूर्ति में असंतुलन उत्पन्न हुआ। इसका प्रभाव भारतीय कंपनियों के मुनाफे पर पड़ा, क्योंकि उन्हें सस्ते चीनी उत्पादों का सामना करना पड़ा।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत में पेट्रोकेमिकल्स की मांग में वृद्धि देश की आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम आयात पर निर्भरता को कम करें और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दें।
NationPress
29/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत में पेट्रोकेमिकल्स की मांग क्यों बढ़ रही है?
भारत में आर्थिक विकास और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण पेट्रोकेमिकल्स की मांग में वृद्धि हो रही है।
आयात पर निर्भरता कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
सरकारी और निजी कंपनियां अपनी पेट्रोकेमिकल उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
पॉलीप्रोपाइलीन की उत्पादन क्षमता में कितना बढ़ोतरी होगी?
वित्त वर्ष 2025 से 2030 के बीच पॉलीप्रोपाइलीन की उत्पादन क्षमता 1.8 गुना बढ़ने की उम्मीद है।
कंपनियों को लागत कम करने के लिए क्या करना चाहिए?
घरेलू कंपनियों के लिए लागत कम करना सबसे महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें निवेश पर अच्छा मुनाफा मिल सके।
क्या वैश्विक मांग और आपूर्ति का संतुलन महत्वपूर्ण है?
हाँ, वैश्विक मांग और आपूर्ति का संतुलन लंबे समय तक मुनाफा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
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