क्या इंश्योरेंस कंपनियों और एनपीएस ने 2025 में इक्विटी में एक लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड निवेश किया?
सारांश
Key Takeaways
- घरेलू इंश्योरेंस कंपनियों ने 56,821 करोड़ रुपए का निवेश किया।
- एनपीएस ने 51,308 करोड़ रुपए का निवेश किया।
- इक्विटी में एक लाख करोड़ रुपए का निवेश अब तक का सबसे बड़ा है।
- नियमों में लचीलापन निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है।
- भारतीय कंपनियों की आय में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मुंबई, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। घरेलू इंश्योरेंस कंपनियों और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में 2025 में अब तक एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है। यह दोनों सेगमेंट से अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। यह जानकारी मंगलवार को उपलब्ध डेटा से प्राप्त हुई।
इस वर्ष की शुरुआत से अब तक, घरेलू इंश्योरेंस कंपनियों ने 56,821 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जबकि एनपीएस ने 51,308 करोड़ रुपए का निवेश किया है। यह दोनों की ओर से 2024 में क्रमशः 23,062 करोड़ रुपए और 13,328 करोड़ रुपए के निवेश की तुलना में काफी अधिक है।
यह निवेश ऐसे समय में हुआ है जब इक्विटी ने पिछले एक वर्ष में सुस्त प्रदर्शन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों में लचीलापन और एयूएम में वृद्धि के कारण इंश्योरेंस कंपनियों और एनपीएस ने अधिक रिटर्न की उम्मीद में इक्विटी में निवेश किया है।
हाल के वर्षों में, पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने अपने नियमों में संशोधन किया है, जिससे टियर-I एनपीएस खातों के लिए 75 प्रतिशत और टियर-II खातों के लिए 100 प्रतिशत तक इक्विटी निवेश की अनुमति दी गई है।
इस बीच, आईआरडीएआई द्वारा दी गई छूटों ने इंश्योरेंस कंपनियों को सरकारी और अनुमोदित प्रतिभूतियों में बड़ी हिस्सेदारी बनाए रखते हुए विवेकपूर्ण निवेश सीमा के भीतर इक्विटी आवंटन बनाए रखने की अनुमति दी है।
म्यूचुअल फंड जैसे अन्य घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2025 में इक्विटी में 4.44 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया, जो पिछले वर्ष के 4.15 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। इस बीच, बैंकों और कुछ घरेलू वित्तीय संस्थानों ने क्रमशः 16,941 करोड़ रुपए और 158 करोड़ रुपए की बिकवाली की।
एफआईआई द्वारा भारी बिकवाली के बीच, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की शुद्ध खरीदारी इस साल भारतीय बाजारों को सहारा दे रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में निरंतर बिकवाली और सस्ते बाजारों में निवेश की एफआईआई रणनीति निकट भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है।
भारतीय कंपनियों की वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही की आय अनुमान से बेहतर रही है, जिसमें प्रमुख क्षेत्रों, विशेषकर मिड-कैप कंपनियों की आय में सालाना आधार पर 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।